बोले कटिहार: तकनीकी प्रशिक्षण, पहचान पत्र और समय पर दिया जाए वेतन
पंप ऑपरेटरों की मेहनत से गांवों में पानी की आपूर्ति होती है, लेकिन उन्हें पहचान पत्र और तकनीकी प्रशिक्षण की कमी के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राज्य सरकार की 'हर घर नल का जल' योजना के...
पंप आपरेटरों की परेशानी
प्रस्तुति:ओमप्रकाश अम्बुज, आशीष कुमार सिंह
हर घर नल का जल – एक सपना जो लाखों घरों तक पानी पहुंचाने का वादा करता है। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इन बहते हुए नलों के पीछे किसका संघर्ष है? ये वे पंप ऑपरेटर हैं, जो तपती धूप, कड़कती ठंड और मूसलधार बारिश में भी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटते। उनकी मेहनत से गांवों में पानी की धार कभी नहीं रुकती, परंतु पहचान के मोर्चे पर वे अब भी संघर्षरत हैं – बिना पहचान पत्र और प्रशिक्षण के, सिर्फ जिम्मेदारी का बोझ लिए।
पानी के सिपाही, पहचान के मोहताज
हर सुबह जब गांवों में नल से पानी की धार बहती है, तब उसके पीछे पंप ऑपरेटरों का निःस्वार्थ संघर्ष छिपा होता है। वे न केवल पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं, बल्कि हर बूंद में अपनी मेहनत की कहानी लिखते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि ये सच्चे कर्मयोगी आज भी पहचान के मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं। राज्य सरकार की ‘हर घर नल का जल’ योजना ने लाखों घरों तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का सपना देखा था। इस सपने को साकार करने वाले पंप ऑपरेटर, कटिहार के 231 पंचायतों में जलापूर्ति टंकियों का संचालन करते हैं। वे सुबह और शाम मोटर चालू करते हैं, टैंकों की सफाई करते हैं, लीकेज की मरम्मत करते हैं और उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनते हैं। लेकिन इन जिम्मेदारियों के बावजूद, उनके पास अपनी पहचान साबित करने के लिए न कोई औपचारिक दस्तावेज है, न सुरक्षा का भरोसा।
हर दिन करते हैं नई चुनौतियों का सामना
बिना पहचान पत्र के काम करने वाले इन पंप ऑपरेटरों का कहना है कि वे हर दिन कई चुनौतियों का सामना करते हैं। न केवल उन्हें तकनीकी समस्याओं से जूझना पड़ता है, बल्कि अक्सर उनकी मेहनत का भी सम्मान नहीं होता। जब कभी वे किसी समस्या का सामना करते हैं, तो उनके पास अपनी पहचान दिखाने का भी कोई माध्यम नहीं होता। यह न केवल उनकी सुरक्षा बल्कि आत्मसम्मान पर भी चोट करता है।
तकनीकी प्रशिक्षण की कमी
इसके अलावा, तकनीकी प्रशिक्षण की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है। जलापूर्ति टैंकों की मरम्मत, पाइपलाइन लीकेज की पहचान और पानी की गुणवत्ता जांचने जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के बावजूद, इन्हें कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। नतीजतन, वे कभी-कभी मामूली तकनीकी समस्या के समय खुद को असहाय महसूस करते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को असुविधा होती है।
इन कर्मयोगियों की प्रमुख मांग है कि उन्हें औपचारिक पहचान पत्र दिए जाएं और जल परीक्षण, मोटर मरम्मत और पाइपलाइन रखरखाव का उचित प्रशिक्षण दिया जाए। उनका कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक यह महत्वाकांक्षी योजना अपने असल उद्देश्य में पूरी तरह सफल नहीं हो पाएगी।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार इन निस्वार्थ कर्मयोगियों की आवाज सुनेगी और उनकी मेहनत को पहचान और सम्मान देगी? क्या पानी की हर बूंद के पीछे खड़ी इन कहानियों को उनका हक मिलेगा?
04 घंटे औसतन एक पंप ऑपरेटर करते हैं पानी टंकी की देखरेख
100 लीटर प्रति घंटे लीक हो जाता है पानी
231 पंचायत में हर टंकी में हर साल दो बार होती है सफाई की जरूरत
शिकायतें:
1. बकाया भुगतान महीनों से लंबित, जिससे परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है।
2. तकनीकी प्रशिक्षण के अभाव में समस्याओं का समाधान करना कठिन है।
3. न तो पहचान पत्र मिला है और न ही सरकारी मान्यता, जिससे अधिकारों की अनदेखी हो रही है।
4. संवेदकों की लापरवाही से कई जगह नल सड़क किनारे लगे हैं, जिससे पानी बर्बाद हो रहा है।
5. सफाई के लिए आवश्यक सामग्री समय पर नहीं मिलती, जिससे जल गुणवत्ता प्रभावित होती है।
सुझाव:
1. समय पर नियमित मानदेय भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
2. तकनीकी प्रशिक्षण और उपकरण की उपलब्धता बढ़ाई जाए।
3. हर ऑपरेटर को औपचारिक पहचान पत्र और प्रमाणन दिया जाए।
4. संवेदकों की जवाबदेही तय की जाए और काम की नियमित निगरानी हो।
5. पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियमित जल परीक्षण की व्यवस्था हो।
इनकी भी सुनें
हमें हर दिन पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन पहचान पत्र न होने से हमें कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हमारी जिम्मेदारियां बड़ी हैं, पर अधिकार छोटे। हमें भी सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए।
नंद किशोर साह
तकनीकी प्रशिक्षण की कमी के कारण हमें कई बार मामूली समस्याओं में भी परेशानी होती है। पहचान पत्र और उचित प्रशिक्षण से हमारा काम आसान हो सकता है और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिल सकेगी।
लालन कुमार पासवान
बिना पहचान पत्र के काम करना न केवल हमें असुरक्षित महसूस कराता है, बल्कि हमारे आत्मसम्मान को भी चोट पहुंचाता है। हमें औपचारिक पहचान और सुरक्षा की जरूरत है।
चंदन कुमार मंडल
हमारी मेहनत से पानी की धार चलती है, लेकिन हमें न सम्मान मिलता है न अधिकार। हमें उचित मानदेय और तकनीकी प्रशिक्षण की जरूरत है, ताकि हम बेहतर सेवा दे सकें।
संजय कुमार मंडल
हर मौसम में हम पानी की सप्लाई सुचारू रखते हैं, लेकिन हमारे पास अपनी पहचान साबित करने का कोई माध्यम नहीं है। यह हमें असुरक्षित महसूस कराता है।
बिकास कुमार
अगर हमें नियमित मानदेय और पहचान पत्र मिले, तो हम बिना किसी चिंता के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकेंगे। हमें सम्मान और सुरक्षा चाहिए।
अनुपलाल मुर्मू
हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना हमारी दिनचर्या का हिस्सा है, लेकिन पहचान और प्रशिक्षण की कमी हमें कमजोर बनाती है। हमें इन बुनियादी अधिकारों की जरूरत है।
चुन्नीलाल साह
हम पानी की हर बूंद में मेहनत की कहानी लिखते हैं, पर हमें पहचान और सुरक्षा से वंचित रखा गया है। यह स्थिति बदलनी चाहिए।
चंद्रजीत कुमार
पानी की सप्लाई सुचारू रखने में हम अपनी पूरी ताकत लगाते हैं, लेकिन बिना पहचान पत्र के हमें असुरक्षित महसूस होता है। हमें उचित अधिकार मिलने चाहिए।
मनोज शर्मा
हर सुबह की शुरुआत पानी की मोटर चालू करने से होती है, पर हमारी पहचान आज भी अधूरी है। हमें सम्मान और अधिकार चाहिए।
सोनू कुमार
हमारी मेहनत से नल में पानी आता है, पर हमें न पहचान मिलती है न सुरक्षा। सरकार को हमारी स्थिति पर विचार करना चाहिए।
प्रवीण कुमार
अगर हमें पहचान पत्र और प्रशिक्षण मिले, तो हम अपने काम को और भी कुशलता से कर सकते हैं। हमें सम्मान चाहिए।
राजेंद्र राम
बिना पहचान के काम करना हमारी सुरक्षा और आत्मसम्मान दोनों के लिए खतरा है। हमें अधिकार चाहिए।
राजेंद्र मुर्मू
हर दिन हम पानी की सप्लाई सुनिश्चित करते हैं, पर हमें न तो सम्मान मिलता है न पहचान। यह स्थिति बदलनी चाहिए।
राजेंद्र मोदी
हमारी मेहनत पानी की धार बनकर बहती है, पर हमें न पहचान मिलती है न सुरक्षा। हमें अधिकार चाहिए।
मुरली साह
तकनीकी समस्याओं से जूझना हमारी रोज की कहानी है, लेकिन बिना प्रशिक्षण के हम असहाय महसूस करते हैं। हमें पहचान और प्रशिक्षण चाहिए।
रमन कुमार
हमारे बिना पानी की धार नहीं बह सकती, लेकिन हमें पहचान और सम्मान से वंचित रखा गया है। हमें हमारा हक चाहिए।
रविंद्र कुमार
हर दिन हम गांवों में पानी पहुंचाते हैं, पर हमारी पहचान अधूरी है। हमें अधिकार चाहिए।
रामबिलास मंडल
जिम्मेदार
हमारी प्राथमिकता है कि ‘हर घर नल का जल’ योजना का लाभ हर जरूरतमंद तक पहुंचे। पंप ऑपरेटरों की महत्वपूर्ण भूमिका को हम समझते हैं और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं। तकनीकी प्रशिक्षण, नियमित मानदेय और उपकरणों की उपलब्धता पर हमारा फोकस है। हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि संवेदकों की जवाबदेही तय हो और जल गुणवत्ता बनी रहे। सभी ऑपरेटरों को जल्द ही पहचान पत्र और आवश्यक प्रमाणन प्रदान करने की योजना पर भी काम चल रहा है, ताकि वे अपने कर्तव्यों को बेहतर ढंग से निभा सकें।
कविता देवी, विधायक, कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र, कटिहार
18-B K-20- ग्रुप फोटो
18-B K-21- पंचायत भवन के समीप लगा नल जल का टैंक
फॉलो अप
मजदूरी से भी कम वेतन – इमाम और मौलाना की मुश्किलें बरकरार
कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि
5 मई को दैनिक हिंदुस्तान ने 'बोले कटिहार' पेज पर इमाम और मौलाना की दयनीय आर्थिक स्थिति पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट ने एक सच्चाई को सामने रखा था – कैसे ये लोग सीमित वेतन में घर चलाने, बच्चों की तालीम और समाज की सेवा कर रहे हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि आज भी उनकी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
मस्जिदों में इमामत और मदरसों में तालीम देने वाले ये निःस्वार्थ सेवक पांच से सात हजार रुपये की मामूली तनख्वाह में अपने परिवार का गुजारा करने को मजबूर हैं। यह राशि न तो महंगाई का सामना करने के लिए पर्याप्त है और न ही उनकी समाजिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए।
बंगाल और कर्नाटक की तरह हो राज्य में व्यवस्था
बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों ने जहां इमामों के लिए वजीफे की व्यवस्था की है, वहीं बिहार के इमाम अब भी बेसहारा महसूस करते हैं। अधिकांश मस्जिदें वक्फ बोर्ड के अधीन हैं, फिर भी इन सेवकों के वेतन की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। मदरसों में पढ़ाने वाले मौलाना की स्थिति भी ऐसी ही है। कई बार वे समय पर वेतन न मिलने से कर्ज में डूब जाते हैं, बच्चों की पढ़ाई अधर में रह जाती है।
15 -20 हजार मिले मासिक वेतन
उलेमाओं की मांग है कि उन्हें भी न्यूनतम 15-20 हजार रुपये मासिक वेतन मिले, ताकि वे बिना किसी आर्थिक चिंता के समाज और धर्म की सेवा कर सकें। यह समय की मांग है कि सरकार और समाज मिलकर इनके संघर्ष को समझें और उन्हें उनका वाजिब हक दिलाएं।
18-B K-22- बारसोई के एक मदरसा में पढ़ाते मौलाना
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।