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बोले पूर्णिया : जलनिकासी की हो व्यवस्था, सुरक्षा के लिए लगे वेपर लाइट

बीकोठी बाजार में 250 से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं, लेकिन यहां जल जमाव, शौचालय की कमी, और सुरक्षा की समस्या जैसी कई चुनौतियाँ हैं। व्यापारी और ग्राहक दोनों परेशान हैं। बाजार को सुधारने के लिए जल...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 19 May 2025 12:16 AM
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बोले पूर्णिया : जलनिकासी की हो व्यवस्था, सुरक्षा के लिए लगे वेपर लाइट

बीकोठी बाजार के कारोबारियों की समस्या :

-प्रस्तुति: सौरभ सिंह

- 250 से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं बीकोठी बाजार में

- 1000 के लगभग दुकान हो जाती है गुदरी हटिया के दिन

- 50 के लगभग लोहे की दुकान है बीकोठी बाजार में

शिकायत:

1. बीकोठी बाजार में बरसात के दिनों जल जमाव की समस्या

2. व्यवसाई और ग्राहकों के लिए शौचालय यूरिनल की व्यवस्था नहीं

3. गुजरी हटिया के लिए कोई अलग जगह नहीं

4. प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए स्थाई रात्रि प्रहरी नहीं

5. दूर दराज के व्यवसाई के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्थित जगह नहीं

सुझाव:

1. जल निकासी के लिए पूरे बाजार में खास नाला की व्यवस्था हो

2. गली गली में पर्याप्त स्ट्रीट लाइट और वेपर की व्यवस्था हो

3. व्यवसाई और ग्राहकों के लिए बाजार में जगह-जगह शौचालय यूरिनल बने

4. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए स्थाई रात्रि प्रहरी की व्यवस्था

5. यात्री विश्रामालय की तरह दूर दराज व्यवसाई के लिए जगह बने

अंग्रेज के जमाने से पहले पूरे सीमांचल का व्यावसायिक केंद्र बिंदु रहा बी कोठी बाजार की पुरानी संस्कृति अब बदल गई है। कभी यह इलाका जूट के व्यवसाय तो कभी लोहे के समान से बने नट बोल्ट रेंज और सरौता के लिए चर्चित हुआ करता था। यहां से नदी मार्ग के जरिए काफी दूर-दूर तक यहां का निर्मित जूट के समान और लोहे से निर्मित सामान देश के अन्य कोने में जाता था। समय के अनुसार इस व्यवसाय को बढ़ावा नहीं मिलने के कारण व्यापारियों का आना-जाना कम हो गया और इसके बाद पारंपरिक व्यवसाय मृतप्राय जैसे हो गए। हालांकि यहां व्यवसाय के लिए बड़े-बड़े मारवाड़ी समाज के व्यापारी आया करते थे। बाद के दिनों में जब यहां अपराधिक गतिविधि बढ़ गई तो यहां से व्यापारियों ने व्यवसाय दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया।

आजादी के पूर्व से बना बी कोठी बाजार को अब तक मूल भूत सुविधा नहीं मिल पाया है। जिससे दुकानदार के साथ साथ ग्राहक भी परेशान हैं। बी कोठी बाजार मुख्य रूप से पूर्व में पाट व्यवसाय के थोक बिक्री के लिये जाना जाता था। 1945 के समय में जहाँ बी कोठी बाजार से बड़े पैमाने पर पाट व्यवसाय किया जाता था, जो सीधे कलकत्ता बाजार को स्टीमर के सहारे जाया करता था। बी कोठी बाजार में ही अंग्रजी काल में यह बड़ी मात्रा में नील की खेती कर भंडारण कर व्यवसाय किया जाता था। समय के साथ साथ परिवर्तन होता चला गया। आजादी के पूर्व से ले कर 1990 के दशक तक बड़हरा बाजार की चर्चा बिहार सहित अन्य राज्यो में भी होतो थी। बीकोठी बाजार में गल्ले के व्यापारी रहते थे।

जिसके कारण आज भी बाजार के एक हिस्से को बड़ी गद्दी के नाम से जाना जाता है। बी कोठी बाजार में मूल रूप से बनने वाले सरोता की अन्य राज्यो में भारी मांग हुआ करता था। यहां से निर्मित BK मार्का लगा सरोता ने पूरे देश में अपनी एक पहचान बनाई थी। मगर यह व्यवसाय भी धीरे-धीरे सिमटकर खत्म होने के कगार पर आ गया। 1990 के दशक से पहले बीकोठी बाजार में कुछ मारवाड़ी समाज द्वारा पुनः बाजार को गति देने का काम किया जाने लगा। बड़ी बड़ी दुकान, खरीद बिक्री और मालवाहक गाड़ियों का आवागमन क्षेत्र में व्यापार का नया आयाम लिखता दिखा मगर 1990 के दशक में सभी व्यापारी पुनः बी कोठी बाजार छोड़कर चल दिये। जिसके बाद बाजार पूर्ण तया सिमट गया। मगर स्थानीय लोगों के द्वारा पुनः बाजार को सजाने का काम शुरू किया गया तो धीरे धीरे दुकाने बढ़ने लगी। और एक भव्य बाजार बन गया। मगर सुविधा की कमी, अतिक्रमण और जर्जर सड़क बाजार के विकास में रोड़ा बनता चला गया। आज की तारीख में बी कोठी बाजार में 250 से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। गुदरी हटिया के दिन बाजार के अंदर रोड के सहारे 1000 के लगभग दुकान हो जाती है। इसको लेकर काफी भीड़ हो जाती है। इस तरह की गुदरी हटिया सप्ताह में 2 दिन रविवार और गुरुवार को लगता है। पुरानी संस्कृति को संभाले हुए बी कोठी बाजार में लगभग 50 की संख्या में

आज भी लोहे की दुकान हैं। जूट का कारोबार तो अब लगभग समाप्त हो गया है। अब ना तो इलाके में जूट की खेती होती है और ना ही इसके व्यापारी आते हैं।

नील की खेती ने बसाया था बाजार:-

बी कोठी बाजार की स्थापना अंग्रेज के जमाने में नील के व्यवसाय के लिए हुआ था। अंग्रेजों ने उस समय यहां के किसानों को काफी ज्यादा यातना देकर सिर्फ और सिर्फ नील की खेती के लिए मजबूर किया था। इसी मजबूरी में लोगों ने जब बड़े पैमाने पर नील की खेती करनी शुरू कर दी तो अंग्रेजों ने यहां नील का बाजार बसा दिया। उसी समय से बी कोठी बाजार व्यावसायिक केंद्र बनना शुरू हो गया। यहां नील के स्टॉक होने लगे थे। इसी क्षेत्र से नील आंदोलन भी शुरू हुई थी। अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध लड़ने वाले कई क्रांतिकारी भी यहां पैदा हुए। आजादी की लड़ाई में यहां की क्रांतिकारियों ने पहले नील की खेती को समाप्त कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने शुरू कर दिए। उस जमाने में भी काफी लंबे अंतराल तक बाजार का व्यवसाय और दुकान प्रभावित हुआ था। इसके बाद जब देश आजाद हुआ तो नील की खेती के कारण बंजर पड़े जमीन पर कोई फसल नहीं उगने लगी। मजबूरन किसानों ने जूट की खेती प्रारंभ किया और जूट का बाजार डेवलप हुआ। बाद में कई दशक तक जूट का बाजार डेवलप हुआ। बंगाल से बड़ी-बड़ी जूट कंपनियों के व्यवसायई यहां पहुंचने लगे। पूरे इलाके के मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज से यहां जूट पहुंचने लगे। कहा जाता है कि इसी बाजार के कारण कटिहार में जूट मिल स्थापित हुआ था। जूट के बाजार को लेकर भी कोठी में जब काफी ज्यादा व्यापारिक गतिविधियां बढ़ी तो अन्य व्यवसाय के लिए भी लोगों ने दुकान लगाने शुरू कर दिए। इसी बीच कुछ लोगों ने यहां लोहे से बनने वाले सामानों का इंडस्ट्री लगना शुरू किया। लंबे दिनों तक यहां लोहे के छोटे-छोटे पाट पुर्जा का थोक बाजार और खुदरा बाजार सजने लगा। बाद के दिनों में जूट और लोहे की दुकान का यह बहुत बड़ा बाजार बन गया। सीमांचल के सभी जिलों और सभी मेलों में इसी मार्केट के जूट और लोहे के बने सामान यहीं से जाने लगे। बाद में धीरे-धीरे जब इस तरह के दोनों व्यवसाय प्रभावित हुए तो काफी दिनों तक बाजार बेगाना सा हो गया। लेकिन फिर से धीरे-धीरे लोगों ने अपनी आजीविका में सुधार करने के लिए नए-नए व्यवसाय शुरू कर दिया और यह बाजार काफी विस्तृत हो गया है लेकिन आधुनिक सुविधाओं से महरूम होकर रह गया है।

जमने लगा है मक्का बाजार:-

हाल के दिनों में जब इलाके में बड़े पैमाने पर मक्का की खेती होने लगी तो मक्का का बाजार भी सजने लगा। आज इस सीमावर्ती इलाके का बी कोठी बाजार मक्का के लिए भी जाना जाने लगा है। यहां मक्का के व्यापारी आते हैं और इलाके का मक्का खरीद कर गुलाबबाग और बिहार से बाहर भेजते हैं। जो स्थिति पुराने जमाने में जूट के उत्पादन को लेकर बाजार में बनी थी लगभग वही स्थिति मक्का के फसल को लेकर बनी है। स्थानीय व्यवसाईयों को इस बात का मलाल रहता है कि इस एरिया में बैंक नहीं होने के कारण उसे लेनदेन और रुपयों की सुरक्षा का झमेला लगा रहता है। अन्य व्यापारी भी बैंक नहीं होने का रोना रो रहे हैं।

- बोले जिम्मेदार :

1. अतिक्रमण मुक्त बड़हरा बाजार हेतु करवाई की जा रही है। बाजार के दुकानदारों को अतिक्रमण खाली करने हेतु नोटिस भी भेजा गया है। जल्द ही पूरा बाजार अतिक्रमण मुक्त कर दिया जाएगा जिससे सुंदर और सुदृढ बाजार बनेगा। बाजार को सिस्टमैटिक ढंग से तैयार किया जाएगा। अधिक से अधिक सुविधा बहाल की जाएगी।

-मोहन कुमार शर्मा अंचल अधिकारी, बी कोठी

2. बाज़ार की सड़कें चौड़ी करवाई जा रही है। बाजार में जल जमाव की समस्याओं के समाधान के लिए नाला का निर्माण कार्य भी होगा। चौड़ी सड़क और नाला का निर्माण तथा अतिक्रमण मुक्त होने से बाजार के दुकानदारों को काफी सुविधा मिलेगी। इस दिशा में सकारात्मक पहल के लिए आम जनता और जनप्रतिनिधि का सहयोग अपेक्षित है।

कैलाश पति मिश्रा प्रखंड विकास पदाधिकारी।

हमारी भी सुनें :

1. बी कोठी बाजार में मूलभूत सुविधा का अभाव है जिसके कारण व्यवसाय में असुविधा हो रही है। अगर सभी सुविधा उपलब्ध हो तो बाजार में रौनक आएगा। बाजार का पुराना इतिहास काफी गौरवमई रहा है। इसके विकास के लिए प्रयास होना जरूरी है।

-लालू कुमार

2. बाजार में निरंतर सभी जगहों पर कचरा का अंबार लगा हुआ है जो हर वक्त दुर्गंध देते रहता है। जिससे ग्राहकों की निरंतर संख्या घटती जा रही है। इस और प्रशासन और जनप्रतिनिधि का ध्यान सबसे पहले जाना चाहिए। दुकानदारों को काफी दिक्कत होती है।

-मो0 नाजिर हुसैन

3. बाजार की सड़क चौड़ी नहीं है। हमेशा भीड़ भाड़ रहती है। बाजार में जाम का माहौल रहता है जिसके कारण दुकानों पर ग्राहक कम आ पाते हैं। अगर रास्ता सुगम हो तो यहां का कारोबार काफी बेहतर होगा और व्यवसाय खिल उठेगा।

-मनीष कुमार

4. बड़हरा बाजार में व्यवसायियों के लिये मुख्य असुविधा बैंकों का नहीं होना है। अगर बाजार में बैंक रहता तो लोगों का कारोबार और ज्यादा तरक्की करता। बैंकों से लोन की सुविधा मिलती जिससे दुकानदारों को कम ब्याज पर ऋण मिल पाता।

-चंदन कुमार

5. पार्किंग की सुविधा नहीं रहने से खास कर लोग इस बाजार में कम आना पसंद करते हैं। जहां-तहां बाइक रखने से चोरी का भी डर रहता है। गाँव से सीधे ग्राहक जिला या अनुमंडल को निकल जाते है जिससे बी कोठी बाजार के व्यापारियों को काफी नुकसान होता है।

-अरविंद पोद्दार

6. बी कोठी बाजार में जल जमाव की मूल समस्या है। साल के छ माह बड़हरा बाजार के मुख्य सड़क पर जल जमाव रहता है। जिससे दुकानदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जल जमाव के कारण दुकान पर ग्राहक भी नहीं आते।

-बबलू दास

7. बी कोठी बाजार में मुख्य समस्या अतिक्रमण है। बी कोठी बाजार का मुख्य आकर्षण का गुदरी हाट है जो अतिक्रमणकारियो की चपेट में है। जिससे बाहर के दुकानदार न तो अपनी दुकान लगा पाते है और न ही ग्राहक ही यहां खरीद बिक्री को आते है आये दिन अतिक्रमणकारियों द्वारा ही जगहों को ले बाद विवाद होते रहता है

-अमित कुमार

8. बी कोठी बाजार की जर्जर सड़क व्यवसाय को खराब करने का कारण है। संकरी सड़क होने के कारण लोग बाजार कम आते हैं। जिससे दुकानदारी प्रभावित होती है। जर्जर सड़क और अतिक्रमण के कारण अक्सर यहां तू तू मैं मैं होते रहता है।

-गगन कुमार

9. बी कोठी बाज़ार में जहाँ अनाज पटुआ की मंडी लगती थी आज वही बाजार संसाधनों के अभाव में अपने अतीत को तलाश रहा है। बाजार सिस्टमैटिक नहीं रहने के कारण मार्केट का नजारा काफी कचरा जैसा लगता है। सुधार की जरूरत है।

-मो0 फैय्याज टक्कर

10. बी कोठी बाजार पूरे दो किलोमीटर में फैला हुआ है। बाजार में न कोई शौचालय, न ही पेजल और ग्राहकों के लिये वाहन स्टैंड सहित अन्य कोई भी मूल सुविधा नहीं रहने के कारण ग्राहक अब बी कोठी बाज़ार आने से कतरा रहे हैं। जिससे दुकानदारों की माली हालत खराब होती जा रही है।

-दीपक कुमार

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