खरना का प्रसाद ग्रहण करने से मिलती है रोग से मुक्ति (पेज चार)
आयुर्वेदाचार्य अखंडानंद जी ने कहा कि खरना का प्रसाद त्वचा रोग, आंख की पीड़ा और शरीर के दाग-धब्बे दूर करता है। छठ महापर्व को शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व बताया गया है। सूर्य को अर्घ्य देने से...
बोले आयुर्वेदाचार्य, चर्म रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे होते हैं दूर बोले ज्योतिषाचार्य, छठ महापर्व शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है भभुआ, कार्यालय संवाददाता। खरना का प्रसाद ग्रहण करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। यह बातें आयुर्वेदाचार्य अखंडानंद जी ने कही। उन्होंने बताया कि इसका उल्लेख चरक संहिता में है। खरना का प्रसाद तैयार करने में ईख के कच्चे रस, गुड़ का उपयोग किया जाता है। इसके सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं। तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। इसलिए उन्हें सप्तमी का स्वामी कहा जाता है। सूर्य अपने प्रिय तिथि पर पूजा से मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यता है कि नहाय-खाय से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं। नहाय-खाय में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देने से इस जन्म के साथ किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से छठ मैया नि:संतान को संतान देती और उसकी रक्षा करती हैं। सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियंवद ने भी छठ व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा की गई है। वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है। अथर्ववेद के अनुसार, भगवान भास्कर की मानस बहन हैं षष्ठी देवी। प्रकृति के छठे अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई हैं। उन्हें बालकों की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु द्वारा रची माया भी माना जाता है। बालक के जन्म के छठे दिन षष्ठी मइया की पूजा की जाती है, ताकि बच्चे के ग्रह-गोचर शांत हो जाएं। छठ पूजा की जरूरी चीजें प्रसाद रखने के लिए बांस की दो-तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास-लोटा, नए वस्त्र साड़ी-धोती, कुर्ता, चावल, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, पत्ता लगा गन्ना, सुथनी, शकरकंद, पत्ता वाली हल्दी व अदरक, नाशपाती, बड़ा मीठा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी आदि। फोटो- 05 नवंबर भभुआ- 7 कैप्शन- छठ व्रत को लेकर भभुआ शहर के एकता चौक के पास सजी मिक्सर फल की दुकान से सोमवार को खरीदारी करतीं महिलाएं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।