इंटरनेट पर वैकेंसी, अच्छी तनख्वाह के ऑफर तो हो जाएं सावधान; साइबर ठग ऐसे फैलाते हैं जाल
- ट्रेनिंग देने के बाद मोटी कमाई का लालच देकर युवाओं को साइबर ठगी के दलदल में धकेल दिया जाता है। साइबर ठगी के लिए वे युवाओं की टीम बनाकर काम करते हैं। गिरोह के सदस्यों को ठगी की राशि में मोटा कमीशन भी दिया जाता है।

बिहार में साइबर ठग गिरोह चलाने वाले शातिर इंटरनेट पर नौकरी की वैकेंसी निकाल अन्य राज्यों के बेरोजगार युवाओं की भर्ती करते हैं। ट्रेनिंग देने के बाद मोटी कमाई का लालच देकर उन्हें साइबर ठगी के दलदल में धकेल दिया जाता है। साइबर ठगी के लिए वे युवाओं की टीम बनाकर काम करते हैं। गिरोह के सदस्यों को ठगी की राशि में मोटा कमीशन भी दिया जाता है।
साइबर पुलिस ने हाल के दिनों में रामकृष्णा नगर, फुलवारी शरीफ, दीघा इलाके से तीन दर्जन से ज्यादा साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। वहीं, बीते नौ महीने में साइबर पुलिस पटना से 68 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर चुकी है। गिरोह के सरगना नवादा, नालंदा और शेखपुरा के जबकि गिरोह के सदस्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
लोन दिलाने के बहाने साइबर ठगी
साइबर पुलिस ने दिसंबर 2025 में रामकृष्णा नगर थाना क्षेत्र से साइबर ठग गिरोह के सरगना प्रशांत कुमार सहित चार अपराधियों को गिरफ्तार किया था। दो शेखपुरा जबकि तीन आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे। निशांत ने शेखपुरा स्थित कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई कर रखी है। उसने नालंदा के साइबर ठगों से साइबर ठगी की ट्रेनिंग ली थी। बाद में अच्छी नौकरी का झांसा देकर उसने आंध्र प्रदेश के युवाओं को बिहार बुला उन्हें साइबर अपराध के काले धंधे में झोंक दिया था। वहीं, फुलवारी शरीफ, न्यू जगनपुरा और दीघा थाना क्षेत्र से भी लोन दिलाने के बहाने साइबर ठगी करने वालों को साइबर पुलिस ने हाल में दबोचा था। इनमें नालंदा, कर्नाटक और बेंगलुरू के ठग शामिल थे।
पटना में बैठ दिल्ली और एमपी के लोगों को लगा रहे हैं चूना
साइबर पुलिस ने जनवरी में फुलवारी शरीफ इलाके से साइबर ठग गिरोह के पांच बदमाशों को दबोचा था। सभी अपराधी नवादा व शेखपुरा के रहने वाले हैं। मधेपुर गांव निवासी संदीपन कुमार गिरोह का मुखिया है।
अच्छी नौकरी के बहाने बाहर के युवकों को फंसाते हैं
गिरफ्तार आरोपितों ने पुलिस को बताया कि साइबर गिरोह संचालकों ने विज्ञापन में आकर्षक तनख्वाह पर अच्छी नौकरी का सब्जबाग दिखाया था। पटना आने पर उन्हें हर महीने 30 हजार रुपये तनख्वाह के अलावा ठगी की राशि में 40 प्रतिशत कमीशन का लालच भी दिया गया। मोटी कमाई के लालच में आकर वे साइबर ठगी करने लगे थे। ठगी के लिए गिरोह ने बकायदा अपना काल सेंटर तक बना रखा था। ठगी के लिए शातिर सोशल मीडिया पर विज्ञापन देते थे। विज्ञापन देखकर जब कोई शातिरों को फोन करता था तो वे उन्हें लाखों का लोन तुरंत दिलाने का झांसा देते थे। बाद में ठग पीड़ितों से प्रोसेसिंग फीस, इंश्योरेंस, कमीशन और जीएसटी व टीडीएस के नाम पर लाखों रुपये अपने खाते में मंगा उनसे अपना संपर्क खत्म कर देते थे।