Terapanth Sabha Hosts Spiritual Program in Farbisganj बुद्धि को नहीं बल्कि अपनी प्रज्ञा को जागृत करो: समणी, Araria Hindi News - Hindustan
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बुद्धि को नहीं बल्कि अपनी प्रज्ञा को जागृत करो: समणी

तेरापंथ सभा भवन में हुआ कार्यक्रम फारबिसगंज,एक संवाददाता। फारबिसगंज के तेरापंथ भवन में तेरापंथ के

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाMon, 19 May 2025 04:36 AM
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बुद्धि को नहीं बल्कि अपनी प्रज्ञा को जागृत करो: समणी

तेरापंथ सभा भवन में हुआ कार्यक्रम फारबिसगंज,एक संवाददाता। फारबिसगंज के तेरापंथ भवन में तेरापंथ के एकाधिमशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के दिशानिर्देश से समणी निर्देशिका भावित प्रज्ञा जी, समणी संघ प्रज्ञा जी एवं समणी मुकुल प्रज्ञा जी अपनी धर्म देशना से सभी के ह्रदय में ज्ञान रूपी दीप चला रहे हैं। समणीवृंद का सेवा केंद्र गुरु आज्ञा से किशनगंज में होना तय हुआ है, एवं चातुर्मास के प्रथम दो महीने ये किशनगंज में ही प्रवास करेंगे। चातुर्मास के लगने से पहले समणीवृंद आसपास के क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। इसी क्रम में इनका फारबिसगंज आना तय हुआ। विदित हुआ कि तेरापंथ भवन में पिछले सात दिनों से समणी निर्देशिका भावितप्रज्ञा जी,समणी संघप्रज्ञा जी व समणी मुकुलप्रज्ञा जी फारबिसगंज में विराज रही है।

श्रावक-श्राविकाओं का तांता दिन पर लगा रहता है। कार्यक्रम में समणी मुकुल प्रज्ञा जी ने शब्दों की महत्ता के बारे में बतलाते हुए कहा कि शब्दों में अपनी एक अलग ऊर्जा होती है। जिनको अगर हम उच्चरित करते हैं, तो हमारे चारों तरफ एक वलय का निर्माण होता है और अगर उनको अगर अपने पास भी रखते हैं तो भी वह हमारे लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है। ऐसी ही है, विघ्न हरण की ढाल। विघ्न हरण की ढाल की महत्ता को बताते हुए उन्होंने कहा कि यह विघ्न हरण की ढाल में तेरापंथ के उन पांच तपस्वियों को याद किया गया है,जिन्होंने तेरापंथ के इतिहास में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। इस ढाल में अमीचंद स्वामी,भीमराज जी,रामसुखदास जी,शिव मुनि एवं कोदर मुनि, इन पांच तपस्वियों को याद किया गया है। वहीं समणी भावित प्रज्ञा जी ने कहा कि यदि हम सहन करेंगे तो आगे का रास्ता स्वयं निकल जाएगा। अपनी बुद्धि को नहीं बल्कि अपनी प्रज्ञा को जागृत करो, क्योंकि प्रज्ञा में बुद्धि के साथ विवेक स्वयं समाहित हो जाता है। इधर रात्रि कालीन प्रवचन में समणी संघप्रज्ञा जी के द्वारा प्रतिक्रमण कार्यशाला भी सुचारू रूप से चलाई जा रही है। इस मौके पर बड़ी संख्या में जैन समाज की महिलाएं, पुरूष व बच्चे मौजूद थे।

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