रानीगंज के चिरवाहा रेहिका टोला तीन बच्चों में मिले कुपोषण के लक्षण
रानीगंज के चिरवाहा रेहिका महादलित टोला में हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की जांच में तीन बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए गए हैं। सरकारी योजनाओं के बावजूद गांव में आंगनबाड़ी केंद्र की कमी है। पिछले कुछ...

सरकारी सुविधाओं के नाम पर केवल इलाज, लेकिन पोषण से दूर है यहां के बच्चे रानीगंज। एक संवाददाता
रानीगंज प्रखंड मुख्यालय से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मझुवा पूरब पंचायत के चिरवाहा रेहिका महादलित टोला में ते तीन दिन पहले स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की थी। जांच में तीन बच्चों में कुपोषण के लक्षण मिले है। जिन बच्चों में कुपोषण के लक्षण मिले है उनमें चिरवाहा रेहिका महादलित टोला के बुद्धन ऋषिदेव का करीब एक साल का पुत्र आदित्य कुमार, खुडिया ऋषिदेव का डेढ़ साल का पुत्र कृष्ण कुमार और मिथिलेश ऋषिदेव का दो साल की बेटी राधा कुमारी है। इन बच्चों में कुपोषण के लक्षण मिलने के बाद प्रशासन सकते में हैं। मझुवा पूरब पंचायत के उप मुखिया प्रतिनिधि धर्मेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की जांच में कुपोषण के शिकार इन बच्चों को इलाज के लिए अररिया भेजा जाना था, लेकिन अबतक बच्चे अररिया नहीं गए हैं।
कुपोषण दूर करने के दावे हवा-हवाई, आंगनबाड़ी नहीं:
चिरवाहा रेहिका टोला में कुपोषण दूर करने के दावे हवा-हवाई बनकर रह गयी है। गांव की 80 प्रतिशत आबादी वाले इलाके में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है । चिरवाहा रेहिका टोला में बीते अगस्त व सितंबर महीने में एक के बाद एक पांच बच्चों की मौत के बाद प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव के बच्चों में कुपोषण दूर करने का भरोसा दिया था लेकिन अबतक बच्चों को कुपोषण से मुक्ति नहीं मिल सकी है। हालांकि इस गांव में पिछले साल महीनों तक स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में कैंप करती रही। लेकिन बच्चों में कुपोषण को दूर करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो सकी।
आईसीडीएस की जांच में एक दर्जन से अधिक बच्चे मिले थे कुपोषित:
दरअसल बीते सितंबर महीने में जब गांव में बीमारी से बच्चों की मौत हो रही थी तब आईसीडीएस की जांच में एक दर्जन से अधिक बच्चों में कुपोषण पाया गया था। जबकि चार बच्चों में अति कुपोषण के लक्षण थे। आईसीडीएस की जांच में भी इस गांव में 11 बच्चों में कुपोषण के और चार बच्चों में अतिकुपोषण के लक्षण मिले थे। कुपोषित बच्चों में एक साल से लेकर दस साल तक के बच्चे शामिल थे।
गांव में बन रहा उपस्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी की भी मांग:
मझुवा पूरब पंचायत का वार्ड संख्या 11 नदी के दो हिस्सों में बंटा है। इस वार्ड के एक हिस्से में पूरे वार्ड की करीब 80 प्रतिशत आबादी बसती है। जबकि नदी के दूसरे भाग में मात्र 20 प्रतिशत आबादी है। हैरत की बात यह है कि इस बीस प्रतिशत आबादी में ही आंगनबाड़ी केंद्र है। जबकि 80 प्रतिशत की आबादी वाले लोग आंगनवाड़ी की सुविधा से वंचित है। जिस कारण यहां के बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे है। यहां की गर्भवती महिलाओं को भी पोषण नहीं मिल पाता है। दो महीने पहले राज्य सर्वेक्षण इकाई की टीम व डब्ल्यूएचओ की टीम ने गांव में संयुक्त रूप से जांच की थी। जांच में कुपोषण एक बड़ी समस्या मिली थी। टीम द्वारा गांव के बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की बात कही गयी थी। रानीगंज के उप प्रमुख कलानंद सिंह ने बताया कि पंचायत के वार्ड स्तर पर वार्ड सदस्य अध्यक्ष होता है। जिसे सरकारी अधिकारी जानकारी नहीं देना चाहते हैं। इसके कारण पूरक पोषाहार सही तरीके से वितरण नहीं हो रहा है। अधिकारी एवं सेविका का गठजोड़ इतना मजबूत है कि गरीब बच्चों का पोष्टिक आहार ये सभी हजम कर लेते है। इसके कारण बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं।
बोले रेफरल प्रभारी:
तीन दिन पहले चिरवाहा रेहिका टोल में स्वास्थ्य विभाग की और से जांच की गयी थी। गांव में तीन बच्चों में कुपोषण के लक्षण मिले थे। तीनो बच्चों को चिह्नित कर लिया गया है। बच्चों के अभिभावकों से कहा गया है वे रानीगंज रेफ़रल अस्पताल आकर अपना कागजत बना लें ताकि उनको अररिया में एडमिट किया जा सके। अगले दो दिन बाद फिर से गांव में मेडिकल केम्प लगवाया जायेगा।
-डॉ रोहित कुमार, प्रभारी रेफ़रल अस्पताल रानीगंज।
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