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Hindi Newsबिहार न्यूज़आराPrashant Kishor Criticizes Bihar Government on Employment and Education Issues

बच्चों के भविष्य और रोजगार के नाम पर करें वोट : प्रशांत किशोर

पीरो में कहा : पांच किलो अनाज के लिए वोट दिये पर कहीं चार तो कहीं तीन किलो ही मिल रहाज ज ज ज ज

Newswrap हिन्दुस्तान, आराMon, 2 Sep 2024 01:17 PM
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पीरो में कहा : पांच किलो अनाज के लिए वोट दिये पर कहीं चार तो कहीं तीन किलो ही मिल रहा पीरो, संवाद सूत्र। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने सोमवार को भोजपुर में पहली बार सभा को संबोधित करते हुए बच्चों के भविष्य और रोजगार का मुद्दा लोगों के बीच उछाला। इंटर स्तरीय हाईस्कूल पीरो के खेल मैदान में जनसुराज के बैनर तले आयोजित सभा में कहा कि पिछले कई दशकों से बिहार में बच्चों के भविष्य और रोजगार के लिये मतदान न कर लोग जाति के नाम पर मतदान कर रहे हैं। यही वजह है कि लोग हर बार वोट तो कर रहे हैं बिहार बदलने के लिए पर बिहार आगे नहीं बढ़ पा रहा है। उन्होंने कहा कि भोजपुर की जनता बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए सोच कर मतदान करे तो निश्चित रूप से रोजगार के लिये यहां के लोगों को दूसरे प्रदेशों में पलायन नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने लोगों से कहा कि पांच किलो अनाज के लिए आप सब ने भाजपा की सरकार आप सब ने बनायी, लेकिन कहीं तीन तो कहीं चार किलो ही अनाज मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या में मंदिर बनाकर नरेन्द्र मोदी की सरकार ने वोट लिये पर रोजगार के साथ-साथ पढ़ाई के लिये एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया। पूरे देश की राशि से गुजरात में फैक्ट्रियां खोली जा रही हैं। अध्यक्षता लहठान के सरपंच ललन पासवान ने की। सभा में पीरो, तरारी और चरपोखरी के अलावा जिले भर के लोग आये थे। गांवों से समझदार व्यक्ति ढूंढ़ राजनीति में लाने की जरूरत -तेजस्वी को पांच मिनट समाजवाद पर बोलने की दी चुनौती आरा। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आरा के सर्किट हाउस में सोमवार को प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जहां बुद्ध-महावीर पैदा हुए, वहां हर गांव में पढ़े-लिखे और समझदार लोग रहते हैं। इसलिए जरूरत है हमें गांव-गांव से समझदार व्यक्ति को ढूंढ़ कर उन्हें राजनीति में आने का मौका देने की। उन्होंने तेजस्वी यादव को खुली चुनौती देते हुए कहा कि वे पांच मिनट भी समाजवाद पर बोल नहीं सकते। यदि वह 10 दिन ट्यूशन कर लें, फिर भी कैमरे पर नहीं बता सकते कि समाजवाद क्या है? बिहार का यह दुर्भाग्य है कि यहां के लोगों ने पिछले 30 वर्षों से उनको नेता बनाए रखा है, जिनको न तो भाषा का ज्ञान है और न ही विषय की कोई समझ है। लेकिन आश्चर्य यह है कि उन्हें ही आप सभी जमीनी नेता बताते हैं। इसके पूर्व बड़ी संख्या में लोगों ने भव्य तरीके से ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया। ग्रीन हेवन रिसॉर्ट में जन सुराज के संस्थापक सदस्यों के साथ बैठक कर जिले के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। जिले भर में जनसुराजग का होर्डिंग-पोस्टर दिखाई पड़ा।

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