Hindi Newsबिहार न्यूज़Aluminum vark dangerous for kidney and liver know what doctor say

बाजार की चमचमाती मिठाइयों से बच के! इन बीमारियों का खतरा; क्या कहते हैं डॉक्टर?

चांदी के बजाय एल्युमिनियम की वर्क लगी मिठाइयां लोगों को सेहतमंद बनाने के बजाय उनकी सेहत के लिए खतरे का सबब बन रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो मिठाइयों पर लगे एल्युमिनियम के वर्क लोगों के किडनी और लीवर को बीमार कर रहे हैं।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 10 Nov 2024 10:49 AM
share Share

इंसान को सेहतमंद बनाने में सोने-चांदी के भस्म से लेकर वर्क की बहुत ही महती भूमिका है। इसी के मद्देनजर प्राचीन काल से मिठाइयों पर चांदी का वर्क लगाकर लोगों को खिलाया जाता रहा है। लेकिन बदलते वक्त के साथ सोने के बाद चांदी भी आम इंसानों से दूर हुई तो मुनाफाखोर मिठाइयों पर चांदी का वर्क लगाने के बजाय एल्युमिनियम का लगा रहे हैं।

इससे चांदी के बजाय एल्युमिनियम की वर्क लगी मिठाइयां लोगों को सेहतमंद बनाने के बजाय उनकी सेहत के लिए खतरे का सबब बन रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो मिठाइयों पर लगे एल्युमिनियम के वर्क लोगों के किडनी और लीवर को बीमार कर रहे हैं। चांदी के बजाय मिठाइयों पर एल्युमिनियम का वर्क लगाने का खेल शहर से ज्यादा नगर और कस्बों में संचालित मिठाइयों की दुकान पर चल रहा है। वरीय फिजिशियन डॉ. विनय कुमार झा बताते हैं कि एल्युमिनियम का सर्वाधिक असर लीवर ओर गुर्दे पर पड़ता है। एल्युमिनियम की अधिक मात्रा शरीर में जाने से कई घातक रोग भी हो जाते हैं। चांदी का असली वर्क दिमाग की नसों को आराम देता है और ये सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

ये भी पढ़ें:फुड सेफ्टी औफिसर कर रहे का जांच

डॉक्टर की राय है कि मिठाइयों पर एल्युमिनियम के वर्क का इस्तेमाल करने से एक्यूट गैस्ट्राइटिस, गंभीर डायरिया, पेचिश, डिहाइड्रेशन और किडनी में सूजन तक हो सकता है। चांदी का वर्क बाजार में 1000 से 1200 रुपये में 160 पीस मिलते हैं, जबकि एल्युमिनियम वर्क महज 250 से 500 रुपये में आसानी से 100 पीस मिल जाते हैं। इस कारण कई दुकानदार एल्युमिनियम का वर्क खरीदते हैं। चूंकि लगन व त्योहार के दिनों में मिठाई की बिक्री जोरों पर होती है। ऐसे में ग्राहक भी मिठाइयों पर लगे वर्क पर ध्यान नहीं देते हैं। नतीजतन उन्हें अपनी सेहत खराब करनी पड़ जाती है।

आमलोग भी कर सकते हैं चांदी के वर्क की पहचान

आमलोग भी मिठाई में चांदी के वर्क को लेकर उसमें मिलावट की पहचान कर सकते हैं। जहां एल्युमिनियम से बना वर्क लंबे समय तक चमकीला और चमकदार रहता है, वहीं चांदी का वर्क हवा के सम्पर्क में आते ही ऑक्सीकृत हो जाता है जिससे वह हल्की लाल होने के साथ सफेद रंग फीका पड़ जाता है। खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के तहत खाने योग्य चीजों में उपयोग के लिए चांदी की पन्नी 99.9 प्रतिशत शुद्ध होनी चाहिए। एल्युमिनियम का वर्क सफेद-ग्रे रंग का होता है और सांद्र हाइड्रोक्लोरिक एसिड में आसानी से घुलनशील होता है, जबकि सिल्वर का वर्क नहीं होता है।

क्या कहते हैं अधिकारी?

चांदी के बजाय मिठाइयों पर एल्युमिनियम का वर्क लगाना अपमिश्रण अधिनियम के खिलाफ है। इसे लेकर अभियान चलाया जाएगा। जो व्यावसाई पकड़े जाएंगे उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। -मो. इकबाल, खाद्य संरक्षा पदाधिकारी, भागलपुर

अगला लेखऐप पर पढ़ें