मंदिर में खुद करते थे साफ-सफाई, पूर्व IPS किशोर कुणाल के निधन के बाद गांव में सन्नाटा; दोस्तों ने बताए किस्से
Acharya Kishore Kunal Passes Away: शाही ने बताया कि वें पिछले साल ही मेरी पत्नी के श्राद्ध कर्म में आए थे तो बहुत सारी बातें हुई थीं। उन्होंने बताया कि जब कुणाल घर आते थे तो वे अहले सुबह उठ कर नित्य क्रिया से निवृत होने के सबसे पहले मंदिर में कम से कम दो घंटे तक पूजा अर्चना करते थे।
Acharya Kishore Kunal Passes Away: महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, पूर्व आईपीएस अधिकारी। इन सब बड़ी उपमाओं के बावजूद अपने गांव और वहां के लोगों के लिए आचार्य किशोर कुणाल हमेशा सबके दिलों पर राज करने वाले किशोर ही रहे। व्यस्तता के बावजूद जब भी किशोर कुणाल गांव आते, मंदिर की खुद साफ-सफाई करते थे। रविवार को आचार्य किशोर कुणाल के निधन की खबर से उनके पैतृक गांव में सन्नाटा पसरा रहा। लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले। 10 अगस्त 1950 को बरूराज के कोटिया टोले में जन्मे समाजसेवी,धार्मिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए समर्पित महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल के निधन खबर जैसे ही गांव में पहुंची, सभी ग़म और पीड़ा में डूब गए। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके पैतृक गांव बरूराज थाना क्षेत्र के बरूराज टोले कोटिया में मातमी सन्नाटा छा गया। इस दुखद खबर के संबंध में जानने के लिए उनके घर आसपास के लोगों का तांता लगा रहा।
गांव के स्कूल से ही ली शिक्षा
आचार्य कुणाल के स्कूलों के दोस्त रहे वीर बहादुर शाही ने बताया कि हम दोनों ने गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मध्य विद्यालय बरूराज से सातवीं कक्षा पास किया। हाई स्कूल बरूराज से 1965 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद एलएस कॉलेज से एक साथ स्नातक पास किया। फिर कुणाल साहब पटना कॉलेज अन्य उच्य शिक्षा के लिए चले गए।
पिछले साल ही आए थे गांव
शाही ने बताया कि वें पिछले साल ही मेरी पत्नी के श्राद्ध कर्म में आए थे तो बहुत सारी बातें हुई थीं। उन्होंने बताया कि जब कुणाल घर आते थे तो वे अहले सुबह उठ कर नित्य क्रिया से निवृत होने के सबसे पहले मंदिर में कम से कम दो घंटे तक पूजा अर्चना करते थे। फिर जलपान के बाद गांव के लोगों से इस तरह मिलते थे जैसे कोई सामान्य व्यक्ति हों।
रामबालक शाही ने बताया कि कुणाल साहब क्लास में हमसे चार साल सीनियर थे। बावजूद उनकी भाषा में इतनी शालीनता थी कि शिक्षकों के चहेते बन गए थे। उन्होंने बताया कि जब कुणाल साहब गांव आते थे तो सभी ग्रामीणों के बारे में कुशलक्षेम पूछते थे। लाख व्यस्तता के बावजूद वे मंदिर की साफ सफाई कर पूजा-पाठ करते थे। उनके पिता रामचन्द शाही काफी मिलन सार व्यक्ति थे। उन्होंने कुछ सालों के लिए कांटी में एक चिराई मिल खोला था। जिसे बाद में बंद कर दिया था। लोग अपनी समस्याओं को लेकर अक्सर कुणाल साहब के घर उनके पिता से मिलने जाते आते थे।