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इसमें पड़िएगा तो इतनी तेज आग है कि हाथ जल जाएंगे.., जब किशोर कुणाल ने CM से कही थी यह बात

किशोर कुणाल के पटना एसपी की कमान संभालने के कुछ दिन बाद ही यह मामला अखबारों की सुर्खियां बन गया। किशोर कुणाल ने अखबारों की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए यूडी (अप्राकृतिक मृत्यु) का केस दर्ज किया। केस करने के बाद बॉबी की लाश को कब्रिस्तान से निकाल पोस्टमार्टम कराया गया।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, चंदन द्विवेदी, पटनाMon, 30 Dec 2024 07:18 AM
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गुजरात कैडर के अधिकारी कुणाल 80 के दशक में बिहार की राजधानी पटना के एसपी बने। इसी दौरान उन्होंने बिहार के सबसे चर्चित बॉबी हत्याकांड का खुलासा किया था। उस केस ने एसपी किशोर कुणाल को देशभर में अलग पहचान दिलाई। आचार्य किशोर कुणाल ने अपनी बहुचर्चित किताब ‘दमन तक्षकों का’ में इस वारदात का सिलसिलेवार जिक्र किया है। पटना से दिल्ली तक की सियासत में भूचाल ला देने वाले बॉबी उर्फ श्वेतानिशा मर्डर केस पर आचार्य कुणाल ने अपनी किताब में एक दोहा के माध्यम से ऐसे बयां किया... - समरथ को नहीं दोष गोसाईं। बॉबी एक ऐसी महिला का मर्डर था जिसमें सेक्स, क्राइम और पॉलिटिक्स... तीनों शामिल थे।

किशोर कुणाल के पटना एसपी की कमान संभालने के कुछ दिन बाद ही यह मामला अखबारों की सुर्खियां बन गया। किशोर कुणाल ने अखबारों की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए यूडी (अप्राकृतिक मृत्यु) का केस दर्ज किया। केस करने के बाद बॉबी की लाश को कब्रिस्तान से निकाल पोस्टमार्टम कराया गया। किशोर कुणाल ने अपनी किताब में लिखा है कि इस केस में कुछ सीनियर अफसरों ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया, मानो सच का पता लगाना अधर्म हो। खुद तत्कालीन सीएम जगन्नाथ मिश्रा ने उन्हें फोन किया और पूछा कि बॉबी कांड का क्या मामला है?

इस पर किशोर कुणाल ने उन्हें जवाब दिया कि आप चरित्र के मामले में अच्छे हैं, सर इसमें पड़िएगा तो इतनी तेज आग है कि हाथ जल जाएंगे। इसके बाद तत्कालीन सीएम ने फोन रख दिया। आईपीएस कुणाल की जांच से यह बात साफ हो गई कि श्वेतानिशा उर्फ बॉबी की मौत हादसा या खुदकुशी नहीं, बल्कि हत्या थी। तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी उन्हें बधाई दी। लेकिन कहा जाता है कि इसी बीच तत्कालीन सीएम पर दो मंत्रियों और कई विधायकों ने सीबीआई जांच का दबाव बनाया। यहां तक की सरकार गिराने की भी धमकी दी गई। अंतत जांच सीबीआई को सौंप दी गई।

जांच हुई और आखिर में सीबीआई से आरोपितों को अभयदान मिल गया। जांच में आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए। लेकिन आज भी जब इस हत्याकांड की चर्चा होती है तो लोग कहते हैं- भाई आईपीएस देखा, लेकिन कुणाल साहब जैसा नहीं देखा, कब्र से ही लाश निकाल ली थी। भले ही इस केस को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका।

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