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Putrada ekadashi 2024: 15 या 16 अगस्त कब है पुत्रदा एकादशी? जानें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व व्रत का महत्व

  • Putrada ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक के सभी पाप मिट जाते हैं, वह सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है। जानें सावन में पुत्रदा एकादशी कब है-

Saumya Tiwari नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्‍तान टीमThu, 25 July 2024 06:58 PM
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Putrada Ekadashi 2024: भगवान शिव को समर्पित सावन का पावन महीना चल रहा है। सावन मास के शुक्ल पक्ष में पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस तरह से साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस श्रीहरि की विधिवत पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जानें पुत्रदा एकादशी डेट, पूजा- विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट-

पुत्रदा एकादशी कब है: इस साल पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त, 2024 को है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं।

पुत्रदा एकादशी पूजन मुहूर्त- इस साल पुत्रदा एकादशी तिथि 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ होगी और 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि में पुत्रदा एकादशी व्रत 16 अगस्त को रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी के दिन बन रहे शुभ योग- इस साल पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग बन रहे हैं। एकादशी पर प्रीति योग का शुभ संयोग रहेगा। इसके साथ ही इस दिन लक्ष्मी नारायण योग भी बन रहा है। प्रीति योग दोपहर 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

एकादशी व्रत पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें व भोग लगाएं।

इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। 

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। 

एकादशी व्रत का महत्व: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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