Janmashtami :आज रात को घर पर कैसे कराएं कान्हा का जन्म, जच्चा-बच्चा दोनों के लिए भोग बनाएं
Janmashtami puja vidhi in hindi: सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें, व्रत के दिन सुबह सूर्य, चंद्रमा, यम, काल, पंचभूत, दिशाओं, देवताओं आदि का आह्वान कर संकल्प लेना चाहिए कि आज आप जन्माष्टमी का व्रत करेंगे।
आज जन्माष्टमी की रात को कैसे कराते हैं कान्हा जी जन्म, जच्चा का विशेष भोग भी करते हैं तैयार आज पूरे देश में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। लोग इस दिन उपवास रखते हैं। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि, सोमवार और रोहिणी नक्षत्र का दुर्लभ योग बन रहा है। इसे महापुण्य का प्रतीक माना जाता है। सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें, व्रत के दिन सुबह सूर्य, चंद्रमा, यम, काल, पंचभूत, दिशाओं, देवताओं आदि का आह्वान कर संकल्प लेना चाहिए कि आज आप जन्माष्टमी का व्रत करेंगे। इसके बाद पूरे दिन भगवान कृष्ण के भजन गाते हैं। इसके बाद रात असली पूजा की जाती है। 12 बजे कराया जाता है कान्हा जी का जन्म।
आइए जानते हैं 12 बजें कान्हा जी का जन्म
पूजा स्थल पर देवकी के पुत्र जन्म की तैयारी की जाती है। जलपूर्ण कलश, आम्र के पत्ते और पुष्पमालाओं से सजावट की जाती है। लाल कपड़ा पाटे पर बिछाया जाता है। सर्वप्रथम भगवान कृष्ण जी के स्वरूप लड्डू गोपाल को एक खीरे मैं रात्रि 12.00 बजे से पूर्व बिठा दे। रात्रि को 12.00 बजे खीरे में से निकलकर पंचामृत में स्नान कराएं. भगवान श्री कृष्ण को नया मोर मुकुट, नई बांसुरी, नए वस्त्रत्त्, पुष्पमाला, और आभूषण धारण कराएं। इसके बाद नए वस्त्र, आभूषण धारण कराएं। पीला चंदन अक्षत से सुंदर तिलक करें पुष्प माला पहना दें। नए झूले या सिंहासन पर बिठा दें। पंचामृत, पंजीरी, हरा नारियल मेवा ताजे फल नैवेद्य आदि का भोग अर्पित करें।व्रति को कृष्णा प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए और भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नाम का जाप करना चाहिए। रात्रि को जन्म के समय भगवान की पूजा और भजन कीर्तन किया जाना बहुत शुभ है। अगले दिन सुबह पूजा संपन्न कर ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए और दान पुण्य करना चाहिए।
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