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Tilkut Chauth 2025:जनवरी में तिलकुटा चौथ कितनी तारीख को है? जानें सही डेट, पूजाविधि और चंद्रोदय का समय

  • Tilkut Chauth 2025: पंचांग के अनुसार,17 जनवरी 2025 सकट चौथ हिंदू धर्म में हर साल माताएं अपने संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सकट चौथ को निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 14 Jan 2025 02:52 PM
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Tilkut Chauth 2025: सनातन धर्म में जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए व्रत और उपवास रखना बेहद शुभ माना जाता है। हर साल महिलाएं माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मातासकट चौथ का व्रत रखती है। इस सकट चौथ भी कहा जाता है। दृक पंचांग के अनुसार, इस साल 17 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का व्रत रखा जाएगा। संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए माताएं अपने संतान के लिए यह व्रत रखती हैं और प्रथम पूजनीय देवता गणेशजी की पूजा-उपासना करती हैं। तिलकुट का प्रसाद बनाकर गणेशजी को अर्पित किया जाता है। इस दिन चंद्रदेव को अर्घ्य भी दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इसके बिना व्रत और पूजन अधूरा माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ का व्रत रखने से जीवन के सारे दुख-कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं सकट चौथ की सही तिथि, शुभ मुहूर्त पूजाविधि और चंद्रोदय का समय...

कब है सकट चौथ?

दृक पंचांग के अनुसार, माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 17 जनवरी 2025 को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर होगा और अगले दिन 18 जनवरी 2025 को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 17 जनवरी 2025 को दिन शुक्रवार को सकट चौथ मनाया जाएगा। सकट चौथ के दिन शोभन और सौभाग्य योग का शुभ संयोग बन रहा है। इस दौरान धर्म-कर्म के कार्य शुभ फलदायी माने गए हैं।

चंद्रोदय का समय: सकट चौथ के दिन रात 09 बजकर 09 मिनट चांद के निकलने का समय है। हालांकि, अलग-अलग जगहों पर चांद निकलने के समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है।

सकट चौथ 2025: पूजाविधि

सकट चौथ के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। गणेशजी के साथ सभी देवी-देवताओं की पूजा करें और उनकी आरती उतारें। इसके बाद दिनभर निर्जला व्रत रखें। इस दिन गणेशजी को तिल और गुड़ से बने लड्डू का भोग लगाया जाता है। इसलिए तिल-गुड़ के लड्डू समेत अन्य प्रसाद तैयार करें। शाम को गणेशजी की पूजा आरंभ करें। एक छोटी चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। उस पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें। गणेशजी का अभिषेक करें और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद गणेशजी की प्रतिमा पर लाल फूल, रोली, मौली, हल्दी, दूर्वा, चंदन, धूप-दीप समेत सभी पूजा सामग्री एकत्रित करें। गणेशजी को सिंदूर का तिलक लगाएं। गणेशजी को तिल-गुड़ के लड्डू और अन्य चीजों का भोग लगाएं। गणेशजी के मंत्र 'ऊँ गं गणपतये नमः' का जाप करें। गणेश चालीसा का पाठ करें। श्रीगणेश तिलकुटा चौथ की कथा का पाठ करें। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को जल अर्घ्य दें। परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरण करें और स्वंय भी प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलें।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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