Navratri 2023 Kalash Sthapana: इस योग में ना करें कलश स्थापना,जानें घटस्थापना का शुभ समय और पूजाविधि
Navratri 2023 Kalash Sthapana Shubh Muhurat:नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापित किया जाता है, लेकिन मान्यता है कि चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में कलश स्थापित नहीं करना चाहिए।
Navratri Ghatasthapana Vidhi: हर साल आश्विन माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है। इस साल कल यानी 15 अक्टूबर 2023 से शरद नवरात्रि शुरू हो रही है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि कलश स्थापित करने से जातक के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है, लेकिन कलश स्थापना के समय शुभ मुहूर्त का खास ध्यान रखना चाहिए और कुछ विशेष योग में कलश स्थापित नहीं करना चाहिए। चलिए नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि के अभिजीत मुहूर्त कलश स्थापना का सबसे शुभ समय माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 14 अक्टूबर 2023 को रात 11 बजकर 24 मिनट पर नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी और 15 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी।
नवरात्रि पर बन रहे हैं ये योग:
चित्रा नक्षत्र: पंचांग के अनुसार, 14 अक्टूबर 2023 को चित्रा नक्षत्र की शुरुआत होगी और 15 अक्टूबर 2023 को शाम 6 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी।
वैधृति योग: हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 अक्टूबर 2023 को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर वैधृति योग भी लगेगा और 15 अक्टूबर को वैधृति योग समाप्त होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में कलश स्थापित करना शुभ नहीं माना जाता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त को कलश स्थापना का सबसे शुभ समय माना जाता है। 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11 बजकर 9 मिनट से लेकर 11 बजकर 56 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त बन रहा है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में कलश स्थापित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कलश स्थापना की विधि:
सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद घर के मंदिर को साफ करें। मंदिर को फूलों से सजाएं।
घट स्थापना के लिए एक मिट्टी के कलश में पानी भरकर रख दें।
कलश में सिक्का, सुपारी और आम का पत्ता जरूर डालें।
इसके बाद एक लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल का ढेर बनाएं।
अब चावल के ढेर पर कलश स्थापित करें। कलश पर कलावा बांध दें।
इसके साथ ही कलश पर स्वास्तिक भी बनाएं।
फिर एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी और जौ मिलाएं। इसमें थोड़ा पानी छिड़कें और इसे भी स्थापित कर दें।
अब मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। सभी देवी-देवताओं कआ आह्वान करें।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और सभी मां दुर्गा समेत सबी देवी-देवताओं की आरती करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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