Hindi Newsधर्म न्यूज़Shani rashi parivartan 2022: From April onwards shani dev will be in khumbh rashi know how will be the condition of these zodiac signs for 76 days these remedies for shanidev will give benefits - Astrology in Hindi

Shani rashi parivartan 2022: अप्रैल से शनि कुंभ राशि में, जानें 76 दिनों के लिए कैसा रहेगा इन राशियों का हाल, शनिवार के ये उपाय देंगे लाभ

कर्म फल प्रदायक सूर्य पुत्र शनि देव का कुम्भ राशि मे गोचर 28 अप्रैल 2022 दिन गुरुवार को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर होने जा रहा है। जहाँ 28 अप्रैल से 4 जून तक कुम्भ राशि मे मार्गी गति से गोचर करते हुए...

Anuradha Pandey पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली, नई दिल्लीTue, 22 Feb 2022 12:33 PM
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कर्म फल प्रदायक सूर्य पुत्र शनि देव का कुम्भ राशि मे गोचर 28 अप्रैल 2022 दिन गुरुवार को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर होने जा रहा है। जहाँ 28 अप्रैल से 4 जून तक कुम्भ राशि मे मार्गी गति से गोचर करते हुए अपना प्रभाव स्थापित करेंगे और 4 जून से 12 जुलाई तक वक्री गति से गोचर करते हुए कुम्भ राशि मे गोचर करेंगे। पुनः 13 जुलाई से मकर राशि मे वक्री प्रवेश करेंगे। इस प्रकार कुम्भ राशि मे शनि देव 76 दिनों तक के लिए गोचर करने जा रहे है।

मेष :- मेष लग्न के लिए शनि दशम एवं एकादश भाव अर्थात राज्य एवं लाभ के कारक होकर लाभ भाव मे गोचर करने जा रहे है। ऐसे में कर्म के फल में वृद्धि करने जा रहे है। शनि देव लाभ एवं आय में वृद्धि करेंगे। राजनीति से जुड़े लोगों के लिए एवं व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े लोगों के लिए सकारात्मक प्रगति की स्थिति बनेगी। पिता से सुख सानिध्य एवं लाभ में वृद्धि। पैतृक संपत्ति का लाभ। बड़े भाईयों के सहयोग में वृद्धि। सभी लाभ की स्थितियां व्यक्ति के कर्म के आधार पर ही तय होंगे। यदि व्यक्ति के कर्म की प्रकृति नकारात्मक होगी तो नकारात्मक फल ही प्रदान करेंगे। शनि की दृष्टि मेष राशि लग्न भाव पर होगी । मेष राशि शनि की नीच राशि होती है।  पंचम भाव सिंह राशि पर दृष्टि होगी। सिंह राशि शनि की शत्रु राशि होती है। साथ ही शनि की दृष्टि अष्टम भाव वृश्चिक राशि पर होगी। फलतः भ्रम की स्थिति, मानसिक चिंता, सिर दर्द, कार्यो में उलझन की स्थिति उत्पन्न होगी। संतान को लेकर चिंता, पढ़ाई के लिए समय तनाव पूर्ण, डिग्री आदि के लिए भी समय अनुकूल प्रद कम साबित होगा। पेट व पैर की समस्या के कारण मन मे नकारात्मक विचार उत्पन्न होंगे। 

उपाय :- शनिवार के दिन शिव लिंग पर काला तिल चढ़ाये।

वृष :- वृष लग्न या राशि वालों के लिए सर्वाधिक कारक ग्रह के रूप में शनि देव कार्य करते है। भाग्य भाव से राज्य भाव मे गोचर आरम्भ करने जा रहे है। शनि देव का यह गोचर वृष लग्न या राशि वालो के सामाजिक पद, प्रतिष्ठा, सम्मान के लिए बहुत ही सुंदर संयोग है। कर्म करने की प्रवृत्ति, क्षमता, में वृद्धि व व्यापारिक संबंध मजबूत होने के साथ साथ सामाजिक स्तर बढ़ेगा। शनि की दृष्टि चतुर्थ भाव सिंह राशि पर एवं सप्तम भाव वृश्चिक राशि पर होने से घरेलू मामलों में विवाद की स्थिति उत्पन्न होगा। परिवार में असंतोष का वातावरण बनेगा। परंतु वृष लग्न व राशि के अपनी युक्ति उपाय एवं योजनाओं से स्थिति में सुधार शीघ्र कर लेंगे। गृह निर्माण, वाहन से जुड़े कार्यो पर खर्च के साथ साथ क्रिया शीलता में वृद्धि होगी। दैनिक आय से जुड़े लोगों के लिए तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। माता के स्वास्थ्य को लेकर भी कष्ट होगा। चोट या ऑपरेशन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 


उपाय :- मूल कुण्डली के अनुसार नीलम रत्न धारण करें।


मिथुन :- मिथुन लग्न एवं राशि वालो के लिए शनि देव अष्टम एवं भाग्य के कारक होकर भाग्य भाव मे स्वगृही गोचर करने जा रहे हैं। अष्टम के कारक होने से थोड़े नकारात्मक प्रभाव भी उत्पन्न करते है परंतु भाग्य के कारक होने से शुभ फल ज्यादा प्रदान करते है। यहाँ स्वगृही होकर भाग्य भाव मे गोचर करेंगे। जिससे कार्यो में भाग्य का साथ प्राप्त होगा। पिता के सहयोग, संपत्ति एवं आशीर्वाद की प्राप्ति होगी। यहाँ गोचर वत शनि की दृष्टि एकादश स्थान लाभ भाव पर होने से आय एवं लाभ में कमी या देरी हो सकती है। पैतृक संपत्ति को लेकर तनाव का सामना करना पड़ सकता है। पराक्रम भाव पर दृष्टि सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि कराएगा। राजनीति वर्चस्व में वृद्धि होगी। भाई बंधुओं एवं मित्रो द्वारा कष्ट प्रदान किया जा सकता है। षष्ट स्थान रोग भाव पर दृष्टि रोग, कर्ज एवं शत्रु पर विजय प्रदान कराएगा। पुराने रोग से मुक्ति प्राप्त होगी। प्रतियोगिता में विजय की स्थिति बनेगी। 
उपाय :- शनिवार के दिन शनि देव का दर्शन पूजन लाभ प्रदायक होगा।

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