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Pradosh Vrat Katha Kahani : प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, मनोकामना पूर्ति की है मान्यता

Shani Pradosh Vrat Katha story in Hindi: 5 नवंबर 2022, शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 5 Nov 2022 08:53 AM
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Shani Pradosh Vrat Katha in Hindi: 5 नवंबर 2022, शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत में व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भोलेनाथ की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यहां पढ़ें शनि प्रदोष व्रत-

शनि प्रदोष व्रत कथा (Shani Pradosh Vrat Katha)-

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।

एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।

एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया।

ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।

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