2024 में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित रहेंगे ये 5 राशि वाले, रोजाना हनुमान जी का ये उपाय दिलाएगा राहत
Shani Dev : शनि ढाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं। शनि के राशि परिवर्तन करने से कुछ राशियों को फायदा होता है तो कुछ राशियों को नुकसान होता है। शनिदेव साल 2024 में राशि परिवर्तन नहीं करेंगे।
Shani Dev : ज्योतिष में शनिदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल चलते हैं। शनि ढाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं। शनि के राशि परिवर्तन करने से कुछ राशियों को फायदा होता है तो कुछ राशियों को नुकसान होता है। शनिदेव साल 2024 में राशि परिवर्तन नहीं करेंगे। शनिदेव ने साल 2023 में चाल बदली थी। शनिदेव के 2023 में चाल बदलने से मकर, कुंभ, मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और कर्क, वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो गई थी। साल 2024 में भी इन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की वजह से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए रोजाना करें ये उपाय-
- शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए रोजाना श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जिस व्यक्ति पर हनुमान जी की कृपा हो जाए, उसे जीवन में किसी भी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। हनुमान जी के भक्तों पर किसी भी तरह का बुरा साया या प्रभाव नहीं पड़ता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया है कि आपके भक्तों पर मेरा बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आगे पढ़ें हनुमान चालीसा-
- श्री हनुमान चालीसा- (Shree Hanuman Chalisa)
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेउ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तें काँपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)
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