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Hindi Newsधर्म न्यूज़Pitru Paksha: There are twelve types of Shradh mentioned in Bhavishya Puranan do you know all shradh

Pitru Paksha: भविष्य पुराण में बारह प्रकार के श्राद्धों का मिलता है उल्लेख, क्या आप जानते हैं

धर्मसिंधु के अनुसार श्राद्ध के 96 अवसर बताए गए हैं। एक साल की 12 अमावस्याएं, चार पुणादि तिथियां, 14 मन्वादि तिथियां, 12 संक्रांतियां, 12 वैधृति योग, 12 व्यतिपात योग, 15 पितृपक्ष, पांच अष्टका श्राद्ध,

Anuradha Pandey हिंदुस्तान टीम, नई दिल्लीTue, 20 Sep 2022 12:41 AM
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धर्मसिंधु के अनुसार श्राद्ध के 96 अवसर बताए गए हैं। एक साल की 12 अमावस्याएं, चार पुणादि तिथियां, 14 मन्वादि तिथियां, 12 संक्रांतियां, 12 वैधृति योग, 12 व्यतिपात योग, 15 पितृपक्ष, पांच अष्टका श्राद्ध, पांच अन्वष्टका श्राद्ध तथा पांच पूर्वेद्यु श्राद्ध। कुल मिलाकर श्राद्ध के ये 96 अवसर हैं।

इसके अलावा हमारे धर्मशास्त्रों में श्राद्ध के अनेक भेद बताए गए हैं। उनमें से मत्स्यपुराण में तीन प्रकार के श्राद्ध, यमस्मृति में पांच प्रकार के श्राद्ध तथा भविष्य पुराण में बारह प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है। ये बारह श्राद्ध हैं—

नित्य श्राद्ध रोज किया जाने वाला तर्पण, भोजन के पहले गौग्रास निकालना नित्य श्राद्ध है।

नैमित्तिक श्राद्ध पितृपक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध ‘नैमित्तिक श्राद्ध’ कहलाता है।

काम्य श्राद्ध अपनी कामना की पूर्ति के लिए किए जाने वाला श्राद्ध ‘काम्य श्राद्ध’ है।

वृद्धि श्राद्ध मुंडन, उपनयन, विवाह आदि के अवसर पर किया जाने वाला ‘वृद्धि श्राद्ध’ कहलाता है। इसे नान्दीमुख भी कहते हैं।

पार्वण श्राद्ध अमावस्या या पर्व के दिन किए जाने वाले श्राद्ध को ‘पार्वण श्राद्ध’ कहा जाता है ।

सपिंडन श्राद्ध मृत्यु के बाद प्रेतगति से मुक्ति के लिए मृतक के पिंड को पितरों के पिंड में मिलाना ‘सपिंडन श्राद्ध’ है।

गोष्ठी श्राद्ध गौशाला में वंशवृद्धि के लिए किया जाने वाला श्राद्ध ‘गोष्ठी श्राद्ध’ है।

शुद्धॺर्थ श्राद्ध प्रायश्चित के रूप में अपनी शुद्धि के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना ‘शुद्धॺर्थ श्राद्ध’ कहलाता है।

कर्माग श्राद्ध गर्भाधान, सीमंत, पुंसवन संस्कार के समय किया जाने वाला ‘कर्माग श्राद्ध’ है ।

दैविक श्राद्ध सप्तमी तिथियों में हविष्यान्न से देवताओं के लिए किया जाने वाला ‘दैविक श्राद्ध’ है।

यात्रार्थ श्राद्ध तीर्थयात्रा पर जाने से पहले और वहां पर किया जाने वाला श्राद्ध ‘यात्रार्थ श्राद्ध’ है।

पुष्टॺर्थ श्राद्ध अपने वंश और व्यापार आदि की वृद्धि के लिए किया जाने वाला ‘पुष्टॺर्थ श्राद्ध’ कहलाता है।

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