Hindi Newsधर्म न्यूज़Pitru Paksha: crows are not finding to satisfy the ancestors cow with hands and crows in open

Pitru Paksha:पितरों को तृप्त करने के लिए नहीं मिल रहे कौए, गाय को हाथ से तो कौओं के लिए खुले में छोड़ते हैं भोजन

Pitru Paksha:पितृपक्ष में पिंडदान के समय ब्राह्मण भोजन कराने से पहले कौआ को भोजन कराने का विधान है। लेकिन कौए कम दिखाई दे रहे हैं। बड़ी मशक्कत से एक-दो कौए दिखते हैं तो लोग उन्हें दाना दे देते हैं। गय

Anuradha Pandey हिन्दुस्तान टीम, गया-पुनपुनFri, 23 Sep 2022 05:29 PM
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Pitru Paksha:पितृपक्ष में पिंडदान के समय ब्राह्मण भोजन कराने से पहले कौआ को भोजन कराने का विधान है। लेकिन कौए कम दिखाई दे रहे हैं। बड़ी मशक्कत से एक-दो कौए दिखते हैं तो लोग उन्हें दाना दे देते हैं। गया में ऐसा वर्षों से हो रहा है।

अन्य जगहों पर भी लोग जल देने के बाद पितरों को तृप्त करने के लिए कौए को भोजन देते हैं। इन्हें भी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रमुख गयापाल और श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विह्वल कहते हैं- पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए प्रतिदिन हजारों पिंडदानी कर्मकांड के बाद गाय, कुत्ता और कौए के नाम से भोजन निकाल रहे हैं। यहां कौए 8-10 साल पहले तक बड़े झुंड में दिखते थे। उस वक्त खाना रखकर आवाज देने पर कौओं का झुंड चला आता था। आज स्थिति यह है कि यह ढूंढ़ने से नहीं मिलेंगे। काग बेदी की पूजा गया में होती है। हालांकि पुनपुन में पिंडदानियों को यह समस्या नहीं है।गयापाल शंभू लाल विह्वल ने बताया कि गाय को पिंडदानी अपने हाथों से भोजन खिलाते हैं। वहीं, कौओं के लिए छत पर या खुले में रखकर छोड़ देते हैं। समय-समय पर एक-दो कौए दिख जाते हैं। पिंडदानी इसी को मान लेते हैं कि भोजन पितरों तक पहुंच गया है।

कौआ, गाय और कुत्तों को भोजन कराना जरूरी

गयापाल छोटू बारिक और चंदन गुर्दा ने बताया कि ब्राह्मण भोजन से पहले गौ, कुत्ता और कौओं को भोजन कराने का विधान है। कुत्तों के लिए तो खुले में और कौआ के लिए खुले के अलावा छत्त पर भोजन रखने का विधान है। आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि कौआ को खिलाने से यह भोजन पितरों तक पहुंच जाएगा। पूर्वजों की आत्मा तृप्त होगी। पुनपुन पंडित समिति के अध्यक्ष सुदामा मिश्रा ने बताया कि पिंडदान करने के समय अपने पितरों को स्वर्ग जाने में बाधा उत्पन्न न हो, इसके लिए काग बेदी की पूजा की जाती है। इसके तहत पक्षी में कौआ, जानवरों में कुत्ता और गाय की पूजा होती है।

वर्षों से गयाधाम में नहीं दिख रहे कौए, पिंडदान के बाद ब्राह्मण भोजन से पहले कौआ को खिलाने का है विधान
 

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