pitru paksha 2022 : पितरों को याद कर तर्पण और श्राद्ध कर्म की तैयारियों में जुटे लोग, इन नियमों का करें पालन
यज्ञाचार्य त्रयंबक दूबे ने बताया कि आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या पंद्रह दिन पितृपक्ष के नाम से विख्यात है। इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्
पितृ पक्ष की तैयारियों में लोग शुक्रवार को जुटे रहे। जरूरी सामानों की खरीदकर पहले से ही रख लिया है। इसके साथ ही ब्राम्हण से बात कर एक-एक कर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। शुक्रवार को बाजारों में श्राद्ध में प्रयोग में आने वाली सामग्रियों की खूब बिक्री हुई है। विद्वान ब्राम्हणों ने अपने-अपने मत के अनुसार को जानकारी दी।
भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू होता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत अहम माना गया है । इस दौरान कोई नया कार्य नहीं करना होता है। लोग अपने पूर्वजों को याद करक उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म करते हैं। ताकि पूर्वजों के आशीर्वाद पाकर जिंदगी में सफलता, सुख-समृद्धि मिल सकें। शास्त्रों के अनुसार पूर्वजों की नाराजगी से कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। धर्म पुराणों में पितृ पक्ष को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करना आवश्यक है।
आज से शुरू हो रहा पितृ पक्ष - सभामणि शास्त्री
वरिष्ठ यज्ञाचार्य सभामणि शास्त्री ने बताया कि शनिवार को 3.45 बजे से पितृ पक्ष का लग रहा है। पहला श्राद्ध शनिवार को ही होगा। भाद्रपद मास का शनिवार को समाप्त हो रहा है। रविवार को द्वितीय श्राद्ध होगा। सभी लोग अपने पितरों को तर्पण करते हुए विधि विधान से श्राद्ध करेंगे। तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म किया जाता है। पहले दिन से ही पितरों को पानी दिया जाता है। इस दौरान पूरी शुद्धता और नियमों का पालन सख्ती से करना चाहिए।
शनिवार को होगा पहला श्राद्ध- वरुण मणि पांडेय
वरुण मणि पांडेय ने बताया कि पहला श्राद्ध शनिवार 10 सितम्बर को होगा। इसको लेकर किसी भी भ्रम में पड़ने की जरूरत नहीं है। 10 से 25 सितंबर तक पितृपक्ष रहेगा। उन्होंने कहा कि पितृपक्ष का समय पितरों को अर्पित है, ऐसे में इस दौरान लहसन, प्याज, अंडे, मीट-मांस, शराब, सिगरेट और तामसी भोजन नहीं करना चाहिए। पितर पक्ष के दौरान जमीन में उगने वाली सब्जियां जैसे मूली, आलू, अरबी इत्यादि सब्जियों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस दौरान चना मसूर की दाल का सेवन करना भी वर्जित होता है।
पूर्ण फल के लिए नियमों का करें पालन- त्रयंबक दूबे
यज्ञाचार्य त्रयंबक दूबे ने बताया कि आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या पंद्रह दिन पितृपक्ष के नाम से विख्यात है। इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। घर में पितरों की तस्वीर उत्तर दिशा में लगानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितरों की तस्वीर का मुख हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण दिशा को यम की दिशा मानी जाती है। इस बार पितृ पक्ष 10 सितम्बर से 25 सितम्बर तक है।
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