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Putrada Ekadashi Vrat Katha : आज है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जरूर करें इस कथा का पाठ

Paush Putrada Ekadashi Vrat Katha : हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीSun, 21 Jan 2024 08:00 AM
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Paush Putrada Ekadashi : इस समय पौष का पावन महीना चल रहा है। पौष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

पुत्रदा एकादशी मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - जनवरी 20, 2024 को 07:26 पी एम बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त - जनवरी 21, 2024 को 07:26 पी एम बजे

  •  पारण (व्रत तोड़ने का) समय -22 जनवरी को 07:14 ए एम से 09:21 ए एम तक

  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 07:51 पी एम

  • एकादशी व्रत के पारण से पहले व्रती को एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि व्रत कथा का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। आगे पढ़ें पौष एकादशी व्रत कथा...

    पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा- पुत्रदा एकादशी की कथा द्वापर युग के महिष्मती नाम के राज्य और उसके राजा से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिष्मती नाम के राज्य पर महाजित नाम का एक राजा शासन करता था। इस राजा के पास वैभव की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। जिस कारण राजा परेशान रहता था। राजा अपनी प्रजा का भी पूर्ण ध्यान रखता था। संतान न होने के कारण राजा को निराशा घेरने लगी। तब राजा ने ऋषि मुनियों की शरण ली। इसके बाद राजा को एकादशी व्रत के बारे में बताया गया है। राजा ने विधि पूर्वक एकादशी का व्रत पूर्ण किया और नियम से व्रत का पारण किया। इसके बाद रानी ने कुछ दिनों गर्भ धारण किया और नौ माह के बाद एक सुंदर से पुत्र को जन्म दिया। आगे चलकर राजा का पुत्र श्रेष्ठ राजा बना।

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