Navratri : घटस्थापना के साथ होगी मां शैलपुत्री की पूजा, यह मुहूर्त रहता है सबसे उत्तम, नोट कर लें कलश स्थापना का समय
Navratri : गुरुवार से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना प्रतिदिन विधि-विधान से होगी। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु कलश स्थापना, अखंड...
Navratri : गुरुवार से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना प्रतिदिन विधि-विधान से होगी। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु कलश स्थापना, अखंड ज्योति, दुर्गा सप्तशती का पाठ, माता की चौकी, भगवती जागरण आदि का आयोजन करने की तैयारी में जुट गए हैं। इस साल चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्र आठ दिनों का ही होगा। इधर, नवरात्र को ले बाजार भी सज-धज गया है। माता की लाल-पीले चुनरी से लेकर माला, सजावट के समान, मिट्टी के कलश, दिया, दियरी, धूप, अगरबत्ती, नारियल व शुद्ध घी समेत पूजन सामग्री की खरीदारी में बुधवार को श्रद्धालु जुटे रहे। शहर के बड़ी मस्जिद के समीप व कचहरी रोड स्थित फोटो फ्रेमिंग दुकान पर सबसे अधिक लोग माता रानी के फोटो फ्रेमिंग फोटो खरीदने के लिए पहुंच रहे थे।
गुरुवार को होने वाले कलश स्थापना से पूर्व शहर के कचहरी दुर्गा मंदिर, काली मंदिर, बुढ़िया माई मंदिर, जरती माई मंदिर, संतोषी माता मंदिर, पचमंदिरा पोखरा, कोड़ार दुर्गा मंदिर व फतेहपुर दुर्गा मंदिर समेत अन्य देवी-मंदिरों की साफ-सफाई दिन-भर होती रही। माता के आगमन से पूर्व मंदिर की रंगाई-पुताई के साथ सजावट भी हो रही है। इधर शारदीय नवरात्र को लेकर बाजार व मंदिरों के साथ ही घरों में भी रौनक देखी जा रही है। घर-घर में पूजा घर की साफ-सफाई कर कलश स्थापना के लिए पूजा स्थल को सजाया-संवारा जाता रहा। या देवी सर्वभुतेषु मातृ रुपेण संस्थिता की जयघोष के साथ देवी दुर्गा के 9 रुपों की पूजा-अर्चना होगी। नवरात्र में काफी संख्या में माता के भक्त 9 दिनों का उपवास रखकर दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करेंगे। पंडित कामता मिश्रा 14 अक्टूबर को महानवमी व 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। बताया कि नवरात्र में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। नवरात्र में लोग उपवास करेंगे और माता की आराधना करेंगे।
कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहुर्त सबसे उत्तम
- पंडित उपेन्द्र पांडेय ने बताया कि कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहुर्त का समय सबसे उत्तम रहेगा। सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त है। इसके बाद मध्याहृन में 11.33 से 12.23 तक अभिजीत मुहुर्त में कलश स्थापना शुभकारक होगा। प्रतिपदा का योग रात्रि 12 बजकर 06 मिनट तक है। कलश स्थापना के साथ मां के प्रथम स्वरुप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी।
प्रतिपदा घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा
07 अक्टूबर, गुरुवार - प्रतिपदा घटस्थापना मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना
08 अक्टूबर, शुक्रवार - द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी पूजा
09 अक्टूबर, शनिवार - तृतीय मां चंद्रघंटा व चतुर्थी मां कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर, रविवार - पंचमी मां स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर, सोमवार - षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर, मंगलवार - सप्तमी मां कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर, बुधवार - अष्टमी मां महागौरी दुर्गा पूजा
14 अक्टूबर, गुरुवार - महानवमी मां सिद्धिरात्री पूजा
15 अक्टूबर, शुक्रवार - विजयादशमी दशहरा
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