Navratri Kalash Sthapana : 15 अक्टूबर को करें कलश स्थापना, नोट कर लें घटस्थापना मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट
Navratri 2023 Kalash Sthapana Shubh Muhrat Time : इस बार माता का आगमन हाथी पर और प्रस्थान मुर्गे पर होगा। आगमन विशेष शुभ प्रभाव वाला होगा जबकि माता का प्रस्थान शुभ नहीं कहा जा सकता है।
शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। इस बार पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होगी। कोई तिथिक्षय जैसी स्थिति नहीं है। इस बार माता का आगमन हाथी पर और प्रस्थान मुर्गे पर होगा। आगमन विशेष शुभ प्रभाव वाला होगा जबकि माता का प्रस्थान शुभ नहीं कहा जा सकता है। 14 अक्टूबर की सुबह 11 बजकर 24 मिनट पर प्रतिपदा तिथि का आरंभ हो जाएगा। जबकि प्रतिपदा तिथि का समापन 16 अक्टूबर की मध्यरात्रि 12 बजकर 32 मिनट पर होगा।
विधानपूर्वक पूजन से मिलता है विशेष लाभ
- विधि-विधानपूर्वक पूजन से विशेष लाभ मिलने की बात करते हुए शहर के ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा ने कहा कि सही मुहूर्त में पूजन आरंभ से लेकर सम्पूर्ण विधान से माता का पूजन जातक का भला करने वाला होता है। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा आराधना होगी। जबकि इसके बाद नौ दिनों तक शक्ति की साधना-आराधना के क्रम में माता के विभिन्न स्वरूपों का पूजन सम्पन्न होगा। दुर्गा उपासना, पूजा, उपवास और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है इसलिए हर जातक इसका विशेष ध्यान रखें।
शारदीय नवरात्रि आरंभ :
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 14, 2023 को 11:24 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 16, 2023 को 12:32 ए एम बजे
घटस्थापना का मुहूर्त:
आश्विन शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि यानी 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त रहेगा।
इसके अलावा घटस्थापना का एक अन्य मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल 10:30 बजे से पहले और दोपहर 01:30 बजे के बाद कलश स्थापना अति उत्तम माना जा रहा है।
कलश स्थापना के लिए सामग्रियां:
कलश, मौली, आम के पत्ते का पल्लव (5 आम के पत्ते की डली), रोली, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत
जवार बोने के लिए सामग्रियां:
मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, गेहूं या जौ, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, साफ जल, और कलावा
अखंड ज्योति जलाने के लिए:
पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, रोली या सिंदूर, अक्ष
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