Hindi Newsधर्म न्यूज़Mokshada Ekadashi 2022: Mokshada Ekadashi vrat is most auspicious Geeta Jayanti also on this day

Mokshada Ekadashi 2022 : सबसे पुण्यकारी है मोक्षदा एकादशी व्रत, गीता जयंती भी इसी दिन 

Mokshada Ekadashi 2022 : मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मोक्ष मिलने के कारण इसे बैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी पर व्रत रखने से मोक्ष मिलता

Anuradha Pandey लाइव हिंदुस्तान टीम, नई दिल्लीThu, 24 Nov 2022 02:58 PM
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Mokshada Ekadashi 2022 : मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मोक्ष  मिलने के कारण इसे बैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी पर व्रत रखने से मोक्ष मिलता है। यह भी मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी व्रत करने से व्रती के पूर्वज जो नरक में चले गए हैं, उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है।  मोक्षदा एकादशी के दिन महाभारत युद्ध से पूर्व भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा कर सत्यनारायण की कथा की जाती है। इस साल यह व्रत 3 दिसंबर को मनाई जाएगी।

भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी की विशेष पूजा की जाती है। पूरे दिन व्रत करके अगले दिन ब्रह्माण को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी से एक दिन पहले दशमी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए तथा सोने से पहले भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।   गीता उपनिषदों की भी उपनिषद है। इसलिए अगर आपको जीवन की किसी समस्या का समाधन न मिल रहा हो तो वह गीता में मिल जाता है।  गीता में मानव को अपनी समस्त समस्याओं का समाधान मिल जाता है। गीता के स्वाध्याय से श्रेय और प्रेय दोनों की प्राप्ति हो जाती है।  इस एकादशी के दिन श्री गीता जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। गीता दिव्यतम ग्रंथ है, जो महाभारत के भीष्म पर्व में है। श्री वेदव्यास जी ने महाभारत में गीताजी के माहात्म्य को बताते हुए कहा है, ‘गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै: शास्त्र विस्तरै:। या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि: सृता।।’ अर्थात् गीता सुगीता करने योग्य है। गीताजी को भली-भांति पढ़ कर अर्थ व भाव सहित अन्त:करण में धारण कर लेना मुख्य कर्तव्य है। गीता स्वयं विष्णु भगवान् के मुखारविंद से निकली हुई है।

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