Hindi Newsधर्म न्यूज़Mauni Amavasya 2023: Many wonderful coincidences are being made on Shani Amavasya know how to please shani

Mauni amavasya 2023: आज शनिचरी अमावस्या पर बन रहे कई अद्भुत संयोग, इन 5 राशियों के जातक जरूर करें ये उपाय

Mauni Amavsya 2023: माघ महीने की अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस साल यह अमावस्या के शनिवार के दिन पड़ रही है। जिससे शनिचरी अमावस्या का संयोग बन रहा है।

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 21 Jan 2023 08:06 AM
share Share

Mauni Amavasya 2023, Shanichari Amavasya Kab hai: हिंदू पंचांग के अनुसार, 21 जनवरी 2023, शनिवार को माघी अमावस्या, मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या है। अमावस्या के दिन शनिवार होने के कारण इस दिन शनिचरी अमावस्या का संयोग बन रहे हैं। इसके साथ ही माघ मास की अमावस्या पर सालों बाद खप्पर योग, चतुरग्रही योग, षडाष्टक योग व समसप्तक योग का शुभ अद्भुत संयोग बन रहा है। शनिचरी अमावस्या को शनि ग्रह से संबंधित उपायों के लिए बेहद लाभकारी माना गया है। ऐसे में 21 जनवरी यानी शनिचरी अमावस्या का  दिन कई राशियों के लिए खास माना जा रहा है। जानें किन राशियों के जातक करें शनिचरी अमावस्या को उपाय-

मौनी अमावस्या का महत्व-

साल की 12 अमावस्या में यह एक मात्र अमावस्या है जिसमें स्नान, दान के अलावा मौन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन मौन रहकर जप, तप, साधना व पूजा पाठ आदि किए जाते हैं। मान्यता है कि माघ मास की अमावस्या को दान करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। खास बात यह है कि साल की यह पहली शनिचरी अमावस्या है।

मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त 2023-

मौनी अमावस्या का आरंभ 21 जनवरी, शनिवार को सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर होगा, जो कि 22 जनवरी को सुबह 02 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार मौनी अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य, शनि व शुक्र की युति होने से खप्पर योग का संयोग बन रहा है।

इन पांच राशियों पर शनि की तिरछी नजर-

वर्तमान में कुंभ, मकर व मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। इसके अलावा कर्क व वृश्चिक राशि पर शनि ढैय्या प्रारंभ है। शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के दौरान जातक को शारीरिक, आर्थिक व मानसिक कष्ट मिलते हैं।

शनि प्रकोप से बचाव के सरल उपाय-

सूर्यास्त के बाद पीपल के वृक्ष के पास दीपक जलाएं।
शनिदेव को तेल अर्पित करें और पूजन करें।
पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और पूजा करें इसके बाद सात परिक्रमा करें।
हर शनिवार सुबह-सुबह स्नान आदि कर्मों से निवृत्त होकर तेल का दान करें।
हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का चढ़ाएं।
शनि चालीसा का पाठ करें।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें