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Mahashivratri : बेहद खास है ये महाशिवरात्रि, 30 वर्ष बाद पहली बार ऐसा अद्भुत संयोग, हो जाएंगे मालामाल

शिव-विवाह का पर्व महाशिवरात्री पर इस साल विशेष संयोग बन रहा है। इस बार बार शिवरात्रि पर बन रहे दुर्लभ संयोग भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और आराधना हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला होगा।

Yogesh Joshi रवि भूषण सिंह, सिमरियाSat, 18 Feb 2023 07:09 AM
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शिव-विवाह का पर्व महाशिवरात्री पर इस साल विशेष संयोग बन रहा है। इस बार बार शिवरात्रि पर बन रहे दुर्लभ संयोग भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और आराधना हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला होगा। जन्मकुंडली, वास्तु व कर्मकाण्ड परामर्श के आचार्य चेतन पाण्डेय का कहना है कि महाशिवरात्रि पर इस वर्ष 30 वर्ष बाद पहली बार ऐसा संयोग बन रहा है जो लोगों को समृद्धि दिलाने के साथ साथ हर मुश्किलों से दूर करने वाला होगा।

महाशिवरात्रि पर इस बार शनि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। करीब 30 साल बाद बन रहे इस दुर्लभ संयोग शिव भक्तों के लिए बेहद खास माना जा रहा है। आचार्य ने बताया कि शनि देव इस बार महाशिवरात्रि के दिन अपने मूल त्रिकोण की राशि कुंभ में स्थित रहेंगे। जबकि ग्रहों के राजा सूर्य भी इस समय कुंभ राशि में ही गोचर कर रहे हैं। ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन पिता- पुत्र सूर्य-शनि की युति बड़ा परिवर्तनकारी योग बनाएगी। यह योग देश व राजनीति के लिए भी खास माना जा रहा है।

शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन शनिवार पड़ने पर शनि महादशा, अंतर्दशा, शनि की साढ़ेसाती या ढैया से परेशान जातकों को इस दिन खास उपाय करने चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन शनि जनित दोषों से मुक्ति के लिए शिव की आराधना का खास महत्व होता है। उन्होंने कहा कि शनिवार को पड़ रही महाशिवरात्रि पर सुबह से लेकर शाम तक पूजा का शुभ समय बन रहा है। वैसे शिवरात्रि पर निशा काल की पूजा का खास महत्व है। इस दिन चार पहर की पूजा होती है। रात्रि जागरण और रात के चार पहर की पूजा काफी लाभदायक होते हैं। महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि व्यापिनी होने पर विशेष माना जाता है। महाशिवरात्रि चतुर्दशी व्यापिनी रात्रि काल में शुभ माना गया है।

इस बार 18 फरवरी को शाम में 5:43 तक त्रयोदशी तिथि है। उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग रहा है। चतुर्दशी तिथि 19 फरवरी को दिन में 3:19 तक भोग करेगा। चतुर्दशी व्यापिनी निशा काल 18 फरवरी को होने से यह पर्व 18 फरवरी को ही मनाए जाएंगे। महाशिवरात्रि पर इस बार श्रवण नक्षत्र का भी योग बनेगा। श्रवण नक्षत्र भगवान शंकर का प्रिय नक्षत्र है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर का माता पार्वती के साथ पूजा अर्चना करने से मांगलिक कार्यों में उत्पन्न बाधाएं दूर होती है। महाशिवरात्रि के दिन महामृत्युंजय का, रुद्राभिषेक व अनुष्ठान विशेष लाभप्रद माने गए है।

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