Jivitputrika Vrat Katha: बिना इस काम के जीतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत है अधूरा
Jivitputrika Vrat: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष सप्तमी से लेकर नवमी पर्यन्त यह व्रत किया जाता है। जिसमें सप्तमी के रात्रि में नहाए खाए, जो भिनसर्वा में ओटघन करते हुए एवं नवमी को पारण कर व्रत पूर्ण करती है
Jivitputrika Vrat 2023: देश भर में प्रायः सभी स्त्रियां अपने सौभाग्य तथा संतान की दीर्घायु के लिए जीमूतवाहन जितिया व्रत भक्ति तथा नियम पूर्वक करती हैं। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष सप्तमी से लेकर नवमी पर्यन्त यह व्रत किया जाता है। जिसमें सप्तमी के रात्रि में नहाए खाए, जो भिनसर्वा में ओटघन करते हुए एवं अष्टमी में व्रत तथा नवमी को पारण कर व्रत पूर्ण करती हैं। यह कहना है पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का। इस बार 5 अक्टूबर दिन गुरुवार को नहाय खाय के साथ रात्रि के अंतिम भाग सूर्योदय से पूर्व महिलाओं का विशेष भोजन ओटघन और 6 अक्टूबर दिन शुक्र वार को रात्रि जितिया व्रत तथा 7 अक्टूबर दिन शनि वार को प्रातः काल 10 बजकर 32 मिनट पर नवमी तिथि प्रवेश होने पर जितिया व्रत का पारण होगा। जितिया व्रत में व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। आगे पढ़ें व्रत कथा-
सतयुग में सत्य एवं सत्य आचरण करने वाला जीमूत वाहन नामक राजा था। वह अपने पत्नी के साथ ससुराल गया और वहीं रहने लगा। एक दिन रात्रि में पुत्र के शोक से व्याकुल कोई स्त्री रोने लगी। उसका पुत्र जीवित नहीं था। जीमूतवाहन के पूछने पर उस स्त्री ने बताया कि प्रतिदिन गरुड़ आकर गांव के सारे लड़कों को खा जाता है। इस पर राजा ने कहा कि हे देवी तुम चिंता मत करो हम तुम्हारे पुत्रों को जीवित करने का प्रयास करते हैं। उस राजा ने गरुड़ को बच्चे के स्थान पर अपने को ही अर्पित कर दिया। राजा का बच्चे के प्रति ऐसी भावना देख गरुड़ जी भी अधिक प्रसन्न हुए। राजा से वरदान मांगने को कहा। राजा ने वरदान स्वरुप कहा कि हे पक्षीराज गरुड़! यदि आप मुझे बरदान देना चाहते हैं तो यह वरदान दीजिए कि, आपने अब तक जिन प्राणियों को खाया है वह सब जीवित हो जाएं। हे प्रभु आब से यहां बालकों को न खाएं और कोई ऐसा उपाय करें कि जहां जो उत्पन्न हुए लोग बहुत दिनों तक जीवित रहे। वहां से गरुड़ जी ने अमृत लेकर उन मरे हुए बालकों के शरीर पर गरुड़ जी ने प्रदान कर दिया। जिससे सभी बालक पुनः जीवित हो गए। राजा भी प्रसन्नता पूर्वक वहां से चले गए। यह व्रत द्रोपदी ने भी किया था। इसी प्रकार और भी बहुत सारी कथाएं हैं जो बहुत विस्तार से कहा गया है सभी स्त्रियों के यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से महिलाओं के पति की आयु लंबी आयु प्राप्त होता ही है प्रमुख रूप से संतान दीर्घायु होते हैं। चाहे वह बेटी हो या बेटा हो निश्चित रूप से सभी को विधि-विधान पूर्वक सभी स्त्रियों को यह व्रत करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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