Hindi Newsधर्म न्यूज़jivitputrika vrat 2021: Confusion about the date of Jitiya Vrat 2021 Know here when to fast and when to Paran - Astrology in Hindi

Jitiya Vrat 2021: जितिया की तिथि को लेकर है कन्फ्यूजन? यहां जानें कब करें व्रत और कब पारण

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 सितंबर को महिलाएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी। पुत्रों के दीर्घायु के लिए की जाने वाली जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार माताओं के लिए काफी कष्टकारी होगा। माताएं...

Saumya Tiwari हिन्दुस्तान ब्यूरो, नई दिल्लीSun, 26 Sep 2021 01:34 PM
share Share

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 सितंबर को महिलाएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी। पुत्रों के दीर्घायु के लिए की जाने वाली जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार माताओं के लिए काफी कष्टकारी होगा। माताएं अपने संतान की खुशहाली के लिए जीउतिया व्रत निराहार और निर्जला रखती हैं। व्रत को लेकर विद्वान संतों ने कहा है कि जीवत्पुत्रिका व्रत 29 सितंबर को करना ही श्रेयस्कर होगा।

इस संबंध में गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम् के संत स्वामी लक्ष्मनाचार्य ने कहा कि चूकि 28 सितंबर को शाम 3 बजकर 5 मिनट में अष्टमी का आगमन है और 29 सितंबर को शाम 4:54 तक यह रहेगा। यह उदयकालीन एवं प्रदोष व्यापिनी सप्तमी रहित है। कथा में भी उपोष्य चाष्टमी राजन सप्तमी रहिता शिवा। यस्या मुदयते भानु पारण नवमी दिने। का जिक्र है। अतः इस प्रमाण के अनुसार जीवत्पुत्रिका व्रत का नहायखाय दिनांक 28 को होगा एवं व्रत 29 सितंबर को होगा। पारण दिनांक 30 को सुबह 6 बजकर 5 मिटन पर सूर्योदय के बाद करना है।

 3 अक्टूबर तक मिथुन, तुला और मकर समेत इन राशि वालों को होगा अचानक धन लाभ
 
उन्होंने सभी माताओं-बहनों को संदेश देते हुए बताया है कि उपरोक्त तिथि में ही व्रत करना चाहिए। जो फलाहार दिया जा सके उसे ग्रहण करें और अष्टमी में उपवास करें। वहीं दूसरी ओर बताया गया कि जीवित्पुत्रिका व्रत 29 सितंबर को मनाया जाएगा हालांकि तिथि को लेकर श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ओम आध्यात्मिक विद्यापीठ के पंडित एके झा आनंद ने कहा कि इस व्रत की पद्धति में यह निहित है कि यह व्रत अष्टमी में किए जाने वाला व्रत है। अतः व्रत ऐसा होना चाहिए, जिसमें सप्तमी वेद का दोष न हो तथा अष्टमी में उपवास भी हो जाए।

अक्टूबर में इन 4 ग्रहों का होगा राशि परिवर्तन, मेष और कुंभ समेत इन 6 राशियों पर पड़ेगा असर

दूसरी ओर महुआ काली स्थान पर हुई आचार्यों की हुई बैठक में जीवित पुत्रिका व्रत को लेकर विशेष मंथन किया गया। आचार्य नंदकिशोर झा की अध्यक्षता में हुई पंडितों की बैठक में जीवित्पुत्रिका व्रत को बताया गया कि यह व्रत सप्तमी रहित अष्टमी को निर्जला उपवास रख माताएं नवमी को पारण करती हैं। मिथिला और बनारसी पंचांग में टाइमिंग में अंतर के कारण यह मतभेद हुआ है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें