Jivitputrika Vrat : इस बार जितिया में 36 घंटे का रहेगा निर्जला व्रत, यहां पढ़ें पौराणिक कथा
Jivitputrika Vrat : हिंदू धर्म में कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें से एक जितिया व्रत भी है। इस व्रत को जीवित पुत्रिका और जिउतिया व्रत भी कहा जाता है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के...
Jivitputrika Vrat : हिंदू धर्म में कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें से एक जितिया व्रत भी है। इस व्रत को जीवित पुत्रिका और जिउतिया व्रत भी कहा जाता है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के जिमुतवाहन व्रत होता है।जितिया व्रत को माताएं अपनी संतान के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत पर भी छठ पूजा की तरह नहाए-खाए की परंपरा होती है। इस साल जितिया व्रत 28 सितंबर को रखा जाएगा। जिसे नवमी तिथि यानी अगले दिन पारण किया जाता है। नहाय-खाए के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत शुरू हो जाता है। इस साल जितिया व्रत 27-29 सितंबर तक मनाया जाएगा। मालीपुर निवासी पंडित देवानंद पाठक और कोरैय निवासी पंडित नवल किशोर झा ने बताया कि 27 सितंबर को नहाय- खाय एवं ओठगन प्रातः चार बजे तक रहेगा। 28 सितम्बर को निर्जला व्रत और 29 सितंबर बुधवार शाम 5:10 के बाद पारण किया जाएगा। यानी इस बार करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत होगा।
जितया व्रत का महत्व-
- जीवित्पुत्रिका व्रत से कई कथाएं जुड़ी हैं। जिनमें से एक कथा महाभारत से जुड़ी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए उत्तरा की गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्नास्त्र का इस्तेमाल किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर फिर से जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। बाद में यह राजा परीक्षित के नाम से जाना गया।
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