सर्वपितृ अमावस्या में भूल कर भी न करें ये गलतियां, उठाना पड़ सकता है गंभीर परिणाम
हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास की अमावस्या तक होता है। इस समय लोग अपने पितृ की आत्मा के शांति के लिए उनका पिंडदान करते हैं।
पितृपक्ष को श्राद्धपक्ष भी कहते हैं इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर को प्रारंभ हुआ जो 25 सितंबर तक चलेगा। पितृपक्ष में अपने पितरों का पिंडदान करने से उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। यदि आपको अपने पितृ की मृत्यु तिथि से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है तो ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनका पिंडदान कर अपना और अपने कुल का आप उद्धार कर सकते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास की अमावस्या तक होता है। इस समय लोग अपने पितृ की आत्मा के शांति के लिए उनका पिंडदान करते हैं। इससे कुंडली की पितृ दोष जैसी समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन इन 5 बड़ी गलतियों को करने से बचना चाहिए। ताकि आप लगने वाले पितृ दोष से मुक्ति पा सके।
नई वस्तु न खरीदें- पितृपक्ष के समय कोई भी नई वस्तु न खरीदे, पितरों के विदाई के दिन बाल और नाखून न कटवाएं। ऐसा करने से आपको पितृ दोष के गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ सकता है।
सर्वपितृ अमावस्या को करे पिंडदान -यदि आपको अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद है तो उस तिथि के अनुसार उनका पिंडदान करें। अगर आपको अपने पितरों की तिथि पता नहीं है तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही उनका पिंडदान करें।
सात्विक भोजन करे- सर्वपितृ अमावस्या के दिन मांस , मछली, अंडा मदिरा आदि का सेवन करने से बचें इस दिन सिर्फ सात्विक या साधारण भोजन करे।
दान करे- सर्वपितृ अमावस्या के दिन घर पर दान दक्षिणा लेने आये किसी भी व्यक्ति को खाली हाथ विदा न करें ऐसा करने से पितृदोष के भयानक परिणाम हो सकते हैं।
पशु- पक्षी का रखे विशेष ध्यान - पितृपक्ष के समय किसी भी गरीब या असहाय व्यक्ति को अपमानित न करें, सभी की मदद करे और उन्हें आदर और सम्मान दे। पितृपक्ष के समय किसी भी कौवे ,कुत्ते चींटी का किसी भी तरह का कोई नुकसान न पहुंचाए
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