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Diwali 2022 Laxmi Puja Time , Vidhi, Muhurat, Aarti : पढ़ें दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त समय, पूजा विधि, मंत्र और लक्ष्मी आरती

Diwali puja time : आज अमावस्या तिथि का आरंभ शाम 5.04 बजे से होगा। आज दिवाली का पूजन शाम 6.40 से लेकर रात 8.05 बजे तक रहेगा। घरों में पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय व मुहूर्त शाम 6.53 से 7.30 बजे तक रहेगा।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 24 Oct 2022 05:48 PM
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Diwali 2022 Laxmi Puja Vidhi, Muhurat, Aarti : आज देश भर में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है।  दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश का विधिवत पूजन किया जाना चाहिए। हिंदू धर्म में लक्ष्मी को धन की देवी तो गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। दीपावली के दिन इनकी पूजा करने से लोगों को बुद्धि और धन की विशेष प्राप्ति होती है। आज अमावस्या तिथि का आरंभ शाम 5.04 बजे से होगा। आज दिवाली का पूजन शाम 6.40 से लेकर रात 8.05 बजे तक रहेगा। घरों में पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय व मुहूर्त शाम 6.53 से 7.30 बजे तक रहेगा। 

पूजा के शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल: शाम 5.49 से रात 8.21 बजे तक
वृष लग्न: शाम 7.03 से रात 9 बजे तक
सिंह लग्न: मध्य रात्रि 1.33 से 3.49 बजे तक

चौघड़िए मुहूर्त
चर का: शाम 5:47 से 7:23 बजे तक
लाभ का: रात 10:35 से रात 12:11 बजे तक
शुभ का: मध्यरात्रि 1:47 से 3:22 बजे तक
अमृत का: मध्यरात्रि 3:22 से 4:15 बजे तक

मां लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि-
सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। अपने ऊपर, आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से जल का छिड़काव कर यह शुद्धिकरण मंत्र पढ़ें-

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यःस्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सबाह्याभ्यंतर: शुचिः।।

ये मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं..
ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नम:, ॐनारायणाय नमः ऊँ ऋषिकेशाय नम:

अनामिका अंगुली से चंदन/रोली लगाते हुए मंत्र पढ़ें-
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।

लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं।

श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर जी के सामने एक-एक करके सामग्री अर्पित करें।
 
मां लक्ष्मी को केसर, ऐपन, कमलगट्टा,कमल पुष्प, धान के लावा चढ़ाएं। 
मां लक्ष्मी की आराधना में गणपति-गौरी, कलश, षड्विनायक, मातृका नवग्रह के साथ कुबेर का पांच सामग्री (हल्दी, धनियां, कमलगट्टा, मजीठ और नकद) से भरी थैली जरूरी है। साथ ही धन की देवी के पास केसर, ऐपन, कमलगट्टा,कमल पुष्प, धान के लावा विशेष रूप से चढ़ाना चाहिए।

इसके बाद देवी-देवताओं के सामने घी के दीए प्रवज्जलित करें।
ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें।
एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें।
श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें।
देवी सूक्तम का पाठ करें।

मां लक्ष्मी की आरती- ( Laxmi Ji Ki Aarti )
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

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