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पितृपक्ष में Surya grahan, कैसे होगा पितरों का आखिरी श्राद्ध, क्या माना जाएगा सूतक, जानें सभी सवालों के जवाब

surya grahan 2024 date:इस बार ग्रहण पितृपक्ष में लग रहा है। इस साल दूसरा ग्रहण अक्टूबर में सर्व पितृ अमावस्या को लगेगा। सर्वपितृ अमावस्या यानी पितृपक्ष का आ्खिरी दिन, जिस दिन भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध होता है।

Anuradha Pandey नई दिल्ली, लाइव हिन्दु्स्तान टीमTue, 30 July 2024 02:21 AM
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साल 2024 का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को लग चुका है। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण एक तरफ वैज्ञानिक जगत के लिए खास होता है, तो ज्योतिष जगत के लिए भी विभिन्न राशियों पर प्रभाव डालने वाला होता है। इस बार ग्रहण पितृपक्ष में लग रहा है। इस साल दूसरा ग्रहण अक्टूबर में सर्व पितृ अमावस्या को लगेगा। सर्वपितृ अमावस्या यानी पितृपक्ष का आ्खिरी दिन, जिस दिन भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध होता है। अगर आपके मन में अमावस्या का श्राद्ध करने को लेकर शंका है, तो आपको बता दें कि इस दिन अमावस्या का पितृ तर्पण अपने समय पर होगा, क्योंकि इस बार लगने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। इस दिन मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे। कुल मिलाकर इस ग्रहण का कोई असर नहीं भारत में नहीं है, क्योंकि यह भारत में दिखाई नहीं दे रहा है।

Solar Eclipse time 

भारतीय तिथि के अनुसार बात करें समय की तो भारतीय समयानुसार रात 9 बजकर 13 मिनट पर ग्रहण की शुरुआत होगी और आधी रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। यानी सूर्यग्रहण की कुल अवधि 6 घंटे व 4 मिनट की होगी। आपको बता दें कि इस साल लगने वाला दूसरा सूर्यग्रहण वलयाकार होगा यानी आसमान में आग के छल्ले जैसा नजारा दिखेगा। लेकिन भारत में यह ग्रहण रात में लगेगा इसके चलते भारत में यह ग्रहण नहीं दिखेगा। इस साल का ग्रहण चिली पेसेफिक महासागर, अर्जेंटीना में दिखाईदेगा। इस ग्रहण को रिंग ऑफ फायर का नाम दिया जा रहा है और इसे करीब 175000 लाख लोग देख पाएंगे।

What is Solar Eclipse 

पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है, जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या और चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन होते हैं।

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