Kamika Ekadashi: एक नहीं 3 दिन मानने होते हैं Ekadashi व्रत नियम, तभी मिलता है सिर्फ एक एकादशी का व्रत का फल
साल में 24 Ekadashi होती हैं, एक महीने में दो, कहा जाता है कि अगर कोई साल की 11 एकादशी व्रत कर लेता है, तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। लेकिन इससे पहले आपको एकादशी व्रत के नियम अच्छे से पता होने चाहिए।
साल में 24 Ekadashi होती हैं, एक महीने में दो, कहा जाता है कि अगर कोई साल की 11 एकादशी व्रत कर लेता है, तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। लेकिन इससे पहले आपको एकादशी व्रत के नियम अच्छे से पता होने चाहिए। अगर आप सोचते हैं कि एकादशी के दिन व्रत करके व्रत हो गया तो यह गलत है। एकादशी व्रत में दशमी और द्वादशी तिथि का भी विचार किया जाता है। इस दिन भी व्रत के नियमों का पालन किया जाता है, तभी एकादशी का व्रत मिलता है।आइए जानें कब से एकादशी व्रत के नियम मानने चाहिए। पहले आपको बता दें किएकादशी का व्रत कर लेने पर पहले किया पाप सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। अपने पाप कर्मों को समाप्त करना चाहते हैं तो एकादशी व्रत जरूर करें। कहा जाता है कि अगर कोई सुहागिन इस व्रत को करती हैं, उनका सौभाग्य अखंड रहता है। कोशि करें कि इस व्रत में झूठ न बोलें, क्रोध न करें। इसके अलावा इस व्रत में चावल नहीं खाए जाते हैं।, अगले दिन द्वादशी पर चावल खा सकते हैं।
दशमी से शुरू हो जाता है व्रत
एकादशी व्रत से पहले दशमी तिथि की शाम को कुछ भी ऐसा न खाएं, जिससे आपका व्रत भंग हो जाए। दशमी, द्वादशी और एकादशी तीन दिन संयम में रहें। तीनों दिन कांसे के बर्तन में कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा दशमी के दिन चने की दाल, मसूर की दाल, साग और किसी दूसरे के घर कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
एकादशी के दिन एक बार फालाहार करें। किसी तरह का मनोरंजन न करें। इस दिन किसी भी पेड़ की पत्ती को नहीं तोड़ना चाहिए। भगवान में ध्यान लगाएं और रात को जागरण करें। पान नहीं खा सकते। दातून नहीं करनी चाहिए। दूसरे की निंदा न करें। एकादशी के दिन एक बार फलाहार करना चाहिए। फिर फिर द्वादशी के दिन कांस के पात्र में भोजन न करें। तेल की चीजें न खाएं। सयंम से रहें और चावल खाकर अपना व्रत खोलन चाहिए।
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