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पुत्रदा एकादशी से संतान सुख का मिलता है आर्शीवाद, ये लोग जरूर करें व्रत

  • पावन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के एकादशी पर श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे। यह एकादशी पुत्रदा एकादशी कही जाती है। इस बार सावन मास की पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त शुक्रवार को हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानThu, 15 Aug 2024 08:01 PM
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पावन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के एकादशी पर श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे। यह एकादशी पुत्रदा एकादशी कही जाती है। इस बार सावन मास की पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त शुक्रवार को हैं। पंचांग के अनुसार, इस बार पुत्रदा एकादशी के अवसर पर प्रीति योग का संयोग बन रहा है। मान्यता है कि सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र रत्न की प्राप्ति और पुत्र की रक्षा व समृद्धि की लिए की जाती है। 

शहर के ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा ने बताया कि पुत्रदा एकादशी व्रत को हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति और उनकी समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। संतान सुख की कामना वाले दम्पति अवश्य रखें व्रत वे दम्पति जो संतान सुख की कामना रखते हैं, इस दिन व्रत अवश्य रखें। ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा ने बताया कि पंचांग के अनुसार, संतान सुख की कामना ले कर यह व्रत करने पर भगवान विष्णु की परम कृपा होती है। ऐसे दम्पति की गोद अवश्य भर जाती है। 

पंडित झा ने बताया कि सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 अगस्त को है। इस तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं, समापन 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर है। उदया तिथि के अनुसार व्रती 16 अगस्त को व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं। इसके अगले दिन यानी 17 अगस्त को प्रात:काल 05 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट के मध्य पारण कर व्रती व्रत का समापन करेंगे। पुत्रदा एकादशी होती है साल भर में दो बार इस व्रत का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। 

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पुत्रदा एकादशी साल में दो बार पौष और सावन मास में की जाती है। उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से न केवल वर्तमान में संतान की रक्षा होती है बल्कि आगत संतान को भी आयुष्य की प्राप्ति होती है। विशेषकर, उन दंपतियों को भी संतान सुख प्राप्त होता है, जिनके संतान नहीं हैं। इस व्रत से भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होती है, जो परिवार की समृद्धि और खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण है।

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