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Putrada Ekadashi 2025:साल की पहली एकादशी कब है? नोट कर लें सही डेट, सामग्री लिस्ट, पूजाविधि और व्रत नियम

  • Putrada Ekadashi 2025 : हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को एकादशी व्रत रखा जाता है और विष्णुजी की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, साल 2025 का पहला एकादशी व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तानMon, 6 Jan 2025 06:53 AM
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Putrada Ekadashi 2025: सनातन धर्म में पौष माह में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता हा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। यह भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी के पूजा-आराधना का दिन है। दृक पंचांग के अनुसार, जनवरी माह का पहला एकादशी व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा। आइए जानते हैं साल की पहली एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, सामग्री लिस्ट, पूजाविधि और व्रत नियम...

कब है पौष पुत्रदा एकादशी ?

दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 9 जनवरी 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर होगा और अगले दिन 10 जनवरी 2025 को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 10 जनवरी 2025 दिन शुक्रवार को पौष पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाएगा।

पारण टाइमिंग : 12 जनवरी 2025 को सुबह 07:15 ए एम से 08:21 ए एम तक द्वादशी तिथि में एकादशी व्रत का पारण करने का समय है।

सामग्री लिस्ट : भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा, छोटी चौकी, पीला कपड़ा, पीले फूल, पीले फल, तुलसी दल, पंचामृत, अक्षत, धूप,दीप , मिठाई समेत पूजा की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।

पूजाविधि : पौष माह शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी को सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। मंदिर की साफ-सफाई करें। एक छोटी चौकी पर पीले कपड़ा बिछाएं। इस पर विष्णुजी और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। विष्णुजी को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र अर्पित करें। अब विष्णुजी को फल, फूल, तुलसी दल समेत सभी पूजा सामग्री अर्पित करें। प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं और विष्णुजी की विधि-विधान से पूजा करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और एकादशी व्रत कथा पढ़ें। दिनभर उपवास रखें और अगले दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। ब्राह्मणों और जरुरतमंदों को अपने क्षमतानुसार अन्न-धन का दान करें। इसके बाद द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें।

व्रत नियम

एकादशी व्रत के दिन चावल के सेवन की मनाही होती है।

इस दिन तुलसी का पत्ता तोड़ने से बचना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी के दिन प्याज, लहसुन समेत किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन न करें।

पुत्रदा एकादशी के दिन व्रती को अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन नाखून और बाल काटने से बचना चाहिए।

इस दिन नकारात्मक विचारों से बचें और किसी से वाद-विवाद न करें।

इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनकी विधिवत पूजा करें।

एकादशी की रात्रि में भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन भी कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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