पितृ अमावस्या का होता है विशेष महत्व, श्राद्ध, तर्पण करने से पितरों का मिलता है आर्शीवाद
- आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या 2 अक्टूबर को है। इस अमावस्या को 'महालय अमावस्या' या 'पितृ अमावस्या' भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है।
आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या 2 अक्टूबर को है। इस अमावस्या को 'महालय अमावस्या' या 'पितृ अमावस्या' भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण, श्राद्ध और पितरों के निमित्त किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों में कहा गया है कि आश्विन अमावस्या के दिन किया गया तर्पण, पितरों को मुक्त करता है और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करता है।
इस तिथि को समस्त पितरों का विसर्जन होता है। जिन पितरों की पुण्यतिथि अपने परिजनों को ज्ञात नहीं होता है या किसी कारणवश जिनका श्राद्ध तर्पण पृथ्वी पक्ष के 15 दिनों में नहीं हो पाता है वह उनका श्राद्ध तर्पण दान इसी अमावस्या में करते हैं। तर्पण करने से समस्त ब्रह्मांड का भी कल्याण होता है।
आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या को पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, उनके लिए श्राद्ध करने और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने का अवसर मिलता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों के निमित्त जल, तिल, पुष्प और पवित्र अनुष्ठानों के माध्यम से पिंडदान और तर्पण करते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन गरीबों को भोजन कराना और वस्त्र दान करना पितरों की आत्मा को संतोष प्रदान करता है।कुछ लोग इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु या शिव की आराधना करते हैं।
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