Makar Sankranti : मकर संक्रांति पर 16 घंटे का पुण्य काल, जानें इस दिन का महत्व
- मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है। उत्तरायण का अर्थ है सूर्य की यात्रा दक्षिण से उत्तर की ओर शुरू होना। मान्यता अनुसार इस दिन भगवान सूर्य और शनि की विशेष आराधना करनी चाहिए।
Makar Sankranti : इस साल पड़ रही मकर संक्रांति विशिष्ट योग के साथ 14 जनवरी को मनाई जाएगी। यह विशिष्ट योग सैकड़ों वर्षों बाद पड़ रहा है। ये बातें पंडित इन्द्रासन मिश्र शास्त्री ने कही। उन्होंने बताया कि इस बार 14 जनवरी को पड़ने वाला मकर संक्रांति सैकड़ों वर्षों बाद विशिष्ट योग के साथ पड़ रहा है। मध्य कृष्ण प्रतिपदा तिथि मंगलवार को दिन में 2.55 बजे मकर संक्रांति का प्रवेश हो रहा है। यह संयोग सैकड़ों वर्षों बाद आया है। इसका प्रभाव संसार के कष्टों को हरने वाला होगा। संक्रांति का पुण्य काल, पूजा पाठ और दान देने का समय 14 जनवरी की सूर्योदय से ही शुरू होकर 15 जनवरी की सुबह 9 बजे तक रहेगा। खिचड़ी खाने खिलाने और अन्न दान का समय 14 जनवरी का ही उत्तम है। सभी 12 संक्रांतियों में मकर संक्रान्ति के पुण्य काल की अवधि 16 घंटे की होती है। अर्थात संक्रांति लगने के समय के पूर्व 16 घंटे से पुण्य काल प्रारंभ हो जाता है और संक्रांति लगने के 16 घंटे बाद तक इसका प्रभाव रहता है।
मकर संक्रांति का महत्व : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।
ज्योतिषीय मान्यता अनुसार मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है। उत्तरायण का अर्थ है सूर्य की यात्रा दक्षिण से उत्तर की ओर शुरू होना। मान्यता अनुसार इस दिन भगवान सूर्य और शनि की विशेष आराधना करनी चाहिए। आचार्य श्री पांडेय के अनुसार मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन प्रात: 8.56 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। जिसका पुण्यकाल इस समय से संपूर्ण दिन तक रहेगा। श्रद्धालु लोग मकर संक्रांति का दान-पुण्य पूरे दिन भर कर सकेंगे। श्रद्धालु तिल, गुड, मूंगफली से बनी खाद्य सामग्री सहित दैनिक जरुरत की विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का दान-पुण्य करेंगे। मकर संक्रांति के दिन हरिद्वार, काशी, कुरुक्षेत्र, अयोध्या आदि स्थानों पर स्थित पवित्र नदियों में स्नान करने और दान का विशेष महत्व बतलाया गया है।
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