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Maha Kumbh 2025: कल्पवास के ये होते हैं 21 कठिन नियम, मिलती है पाप से मुक्ति

  • Maha Kumbh Kalpwas Niyam: महा कुंभ 13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा से प्रारंभ हो गया है, इसका समापन 26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि पर होगा। जानें महा कुंभ में कल्पवास से जुड़ी खास बातें-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, ईश्वर शरण शुक्ल, कानपुरMon, 13 Jan 2025 03:12 PM
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Maha Kumbh Kalpwas 2025: सोमवार को पौष पूर्णिमा पर्व पर गंगा में पावन डुबकी लगाने के साथ ही संगम की रेती पर एक माह के कठिन कल्पवास की शुरुआत हो जाएगी। कल्पवास 13 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी तक चलेगा। 12 जनवरी को माघी पूर्णिमा का स्नान होना है। कल्पवासी सोमवार को पौष पूर्णिमा पर शुभ मुहुर्तू में स्नान करने के बाद तीर्थ-पुरोहितों के सानिध्य में कल्पवास का संकल्प लेंगे। अपने शिविर के बाहर तुलसी का बिरवा रखकर पूजन अर्चन करेंगे। साथ ही जौ भी बोएंगे। मान्यता है कि इस दौरान जौ जिस तरह से बढ़ता है, उसी तरह से उसे बोने वाले कल्पवासी के सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। शिविर के किसी एक कोने में भगवान शालिग्राम की स्थापना कर कल्पवासी जप-तप और मानस का पाठ करेंगे। कल्पवासी अपने हाथ से तैयार किया हुआ भोजन करेंगे। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि कल्पवास से व्यक्ति को मानसिक ऊर्जा मिलती है।

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कल्पवास के 21 कठिन नियम

संगम की रेती में कड़ाके की ठंड के बीच कल्पवास के नियम का पालन करना सबसे कठिन माना जाता है। इन नियमों में सत्यवचन, अहिंसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण, प्राणियों पर दयाभाव, ब्रह्मचर्य का पालन, व्यसनों का त्याग, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, नित्य तीन बार पवित्र नदी में स्नान, त्रिकाल संध्या, पितरों का पिंडदान, दान आदि शामिल है। इसमें सबसे ज्यादा महत्व ब्रह्मचर्य, व्रत,उपवास, देव पूजन, सत्संग और यथा शक्ति दिए जाने वाले दान का माना गया है।

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मिलती है पाप से मुक्ति

टीकरमाफी आश्रम झूंसी के स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी के बताया कि शास्त्रत्तें में कहा गया है कि गृहस्थ जीवन में व्यक्तियों से जाने-अनजाने बहुत से पाप होते रहते हैं। इससे तीर्थराज प्रयाग में एक माह तक कल्पवास करने से सकल पाप से मुक्ति मिल जाती है। मत्स्य पुराण के अनुसार कल्पवास का वही फल है, जो फल रोज करोड़ों गायों के दान का है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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