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Magha Shraddh date: इस साल कब है मघा श्राद्ध, पितरों के लिए क्यों माना जाता है खास, जानें श्राद्ध का समय

  • Magha Shraddh date 2024: 16 दिनों के पितृपक्ष में लोग अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। इन दिनों कई महत्वपूर्ण श्राद्ध होते हैं। पितृपक्ष में जब मघा नक्षत्र होता है, तो इस दिन को मघा श्राद्ध कहते हैं।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानWed, 25 Sep 2024 10:49 AM
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16 दिनों के पितृपक्ष में लोग अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। इन दिनों कई महत्वपूर्ण श्राद्ध होते हैं। पितृपक्ष में जब मघा नक्षत्र होता है, तो इस दिन को मघा श्राद्ध कहते हैं। पितृपक्ष में भरणी नक्षत्र हो तो भरणी श्राद्ध किया जाता है। इसी प्रकार अगर मघा नक्षत्र हो तो उस दिन मघा श्राद्ध किया जाता है। जिस श्राद्ध वाले दिन काफी लंबे समय के लिए मघा नक्षत्र विद्यमान हो तो मघा श्राद्ध करने का विधान है। मघा नक्षत्र के स्वामी पितृ होते हैं या कह सकते हैं कि  मघा नक्षत्र पर 'पितरों' का शासन होता है। 

इस साल मघा नक्षत्र 29 सितंबर रविवार को लग रहा है। यह नक्षत्र 29 सितंबर को तड़के सुबह 3.38 मिनट से लगेगा और अगले दिन त्रयोदशी को 30 सितंबर को सुबह 6.19 मिनट तक लगेगा। इसलिए 29 सितंबर को मघा नक्षत्र है और इस दिन पितृों के देव अर्यमा की पूजा की जाएगी। इस दिन पितृ तर्पण से प्रसन्न होकर धन-समृद्धि और सुखी जीवन का आशीर्वाद देकर जाते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार इस दिन कुतुप मूहूर्त - 11:47 दोपहर से 12:35 दोपहर, रौहिण मूहूर्त - 12:35 दोपहर से 01:23 दोपहर, अपराह्न काल - 01:23 दोपहरसे 03:46 दोपहर तक है।

अर्यमा की जाती है पूजा
कहा जाता है कि मघा श्राद्ध के दिन तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ बहुत प्रसन्न होते हैं। इस दिन तृप्त होने पर पितृ अपनी संतानों को खूब आशीर्वाद देते हैं। आपको बता दें कि इस दिन पितृ के देव कहे जाने वाले अर्यमा की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि अर्यमा को पितृलोक का राजा माना जाता है। इस दिन काले तिल से पूजा करनी चाहिए।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 

 

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