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Hindi Newsधर्म न्यूज़Janmashtami 2024 Puja: Only few minutes left for Krishna Janmashtami pooja note easiest method of puja muhurat

जन्माष्टमी पूजा का था 45 मिनट शुभ मुहूर्त, नोट करें पूजा की सबसे आसान विधि

  • Janmashtami 2024 Puja : आज मध्यरात्रि के समय भगवान कृष्ण का जन्म होने जा रहा है। पूजा के 45 मिनट का शुभ मुहूर्त है। अगर आप भी घर पर लड्डू गोपाल का जन्म या कन्हा की पूजा करने वाले हैं तो जानें जन्माष्टमी पूजा की सबसे सरल विधि-

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 26 Aug 2024 06:13 PM
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श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में बस कुछ ही पलों का इंतजार रह गया है। आज मध्यरात्रि के समय भगवान कृष्ण का जन्म होगा। पूरा देश कान्हामय होकर कृष्ण-भक्ति में झूमेगा। इस साल जन्माष्टमी पर ज्योतिषाचार्यों की मानें तो द्वापर जैसे योग हैं। ऐसे में पूजन अत्यंत फलदायी रहेगी। कई लोग रात्रि की पूजा में कान्हा का जन्म भी करते हैं। इसलिए अगर आप भी घर पर पूजा करने वाले हैं तो आइए जानते हैं व्रत पारण समय और जन्माष्टमी पूजा की सबसे सरल एवं सम्पूर्ण विधि-

नियम- जन्माष्टमी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद किया जाना चाहिए। एकादशी उपवास के दौरान पालन किये जाने वाले सभी नियम जन्माष्टमी उपवास के दौरान भी पालन किए जाते हैं।

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व्रत पारण का सही टाइम

धर्म शास्त्र के अनुसार, पारण समय - 03:38 पी एम, अगस्त 27 के बाद

पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र का समाप्ति समय - 03:38 पी एम

पारण के दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी।

धर्म शास्त्र के अनुसार, वैकल्पिक पारण समय - 05:57 ए एम, अगस्त 27 के बाद

देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।

वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय- 12:45 ए एम, अगस्त 27 के बाद

भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता यानी हिन्दु मध्यरात्रि के बाद किया जाता है।

जन्माष्टमी पूजा की सबसे आसान विधि

1- जन्माष्टमी के दिन स्नान कर साफ वस्त्र पहनें

2- सबसे पहले पूजा घर और घर की साफ सफाई कर लें

3- कान्हा का पालना सजाएं

4- लड्डू गोपाल का गंगाजल और कच्चे दूध या पंचामृत से अभिषेक करें

5- बाल गोपाल को साफ वस्त्र से पोछकर वस्त्र, मुकुट और फूलों की माला पहनाएं

6- कान्हा जी का श्रृंगार करें

7- फिर इन्हें पालने में बिठाकर झूला झुलाएं

8- अब प्रभु की घी के दीपक से आरती करें

9- माखन-मिश्री या खीर का भोग लगाएं

10- अंत में क्षमा प्रार्थना करें

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जन्माष्टमी व्रत के लाभ- जन्माष्टमी का व्रत करने से और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने से संतान की कामना की पूर्ति होती है।

जन्माष्टमी पूजा की सम्पूर्ण विधि

भगवान का जन्म होने के बाद लड्डू गोपाल को खीरे से बाहर निकाला जाता है। सिक्के की मदद से खीरे को डंठल से अलग करें। जन्म के बाद प्रभु का अभिषेक करें। लड्डू गोपाल का कच्चे दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद किसी साफ कपड़े से भगवान प्रभु की मूर्ति को पोछें और वस्त्र पहनाएं। अब प्रभु का आभूषणों से श्रृंगार करें। इन्हें मोर पंख वाला मुकुट पहनाएं, हाथों में बांसुरी पकड़ाएं, कानों में कुंडल, पैरों में पायल और गले में माला पहनाएं। इसके बाद प्रभु पर पीले रंग के पुष्प चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं। अब प्रभु पर अक्षत, इत्र और फल चढ़ाएं। इसके बाद धूप और घी के दीपक से प्रभु की आरती करें। कान्हा जी को माखन बेहद पसंद है। इसलिए लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री या मेवे की खीर का भोग लगाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना करें। कृष्ण भगवान के मंत्रों का जाप भी करें। जन्माष्टमी पर भजन-कीर्तन करने का भी विशेष महत्व होता है।

 

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कब होगी जन्माष्टमी की पूजा?

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:39 ए एम बजे

अष्टमी तिथि समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 02:19 ए एम बजे

रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:55 पी एम बजे

रोहिणी नक्षत्र समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 03:38 पी एम बजे

मध्यरात्रि का क्षण - 12:23 ए एम, अगस्त 27

चन्द्रोदय समय - 11:20 पी एम

रात्रि पूजा का समय - 12:01 ए एम से 12:45 ए एम, अगस्त 27

अवधि - 00 घण्टे 45 मिनट्स

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