Hindi Newsधर्म न्यूज़How to do puja on day 1 of Navratri: Shardiya Navratri Timing Kalash Sthapna vidhi Ghat Sthapana Muhurat Maa Shailputri

आज इस टाइम करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें पूजाविधि व कैसे करें घट स्थापना?

  • How to do puja on day 1 of Navratri: 3 अक्टूबर के दिन कलश स्थापना से साथ नवरात्रि पूजा शुरू की जाएगी। पहले दिन पूरे विधि-विधान से दुर्गा माता के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 3 Oct 2024 08:29 AM
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शारदीय नवरात्रि का पहलादिन मां शैलपुत्रीको समर्पित है। आज 03 अक्टूबर, 2024 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। पहले दिन पूरे विधि-विधान से दुर्गा माता के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हेंशैलपुत्री कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, मां शैलपुत्री की पूजा करने से चन्द्र ग्रह से सम्बन्धित समस्त नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं। आइए जानते हैंनवरात्रि के पहले दिन पूजा, घट स्थापना और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, विधि व कैसे करें माता शैलपुत्री की पूजा-

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आज इस टाइम करें मां शैलपुत्री की पूजा: पंचांग अनुसार, आज अभिजित मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33, विजय मुहूर्त दोपहर 02:08 से दोपहर 02:55, गोधूलि मुहूर्त शाम 06:04 से शाम 06:29 व अमृत काल दोपहर सुबह 08:45 से सुबह 10:33 बजे तक रहेगा।

कलश स्थापना व घट स्थापना कब करें: पंडित सौरभ मिश्रा के अनुसार, आज कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:08 से शाम के 5:30 बजे तक है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:52 से 12:40 तक रहेगा। वहीं, प्रतिपदा तिथि गुरुवार रात्रि 01:20 तक रहेगी।

कैसे करें घट स्थापना व कलश स्थापना: नवरात्रि में घट स्थापना का बड़ा महत्व है। कलश में हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, पांच प्रकार के पत्तों से कलश को सजाया जाता है। कलश के नीचे बालू की वेदी बनाकर जौ बोए जाते हैं। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।

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सबसे पहले पूजा स्थान की गंगाजल से शुद्धि करें। अब हल्दी से अष्टदल बना लें। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक मिट्टी या तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में साफ पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। अब इस कलश के पानी में सिक्का, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पान, फूल और इलायची डालें। फिर पांच प्रकार के पत्ते रखें और कलश को ढक दें। इसके बाद लाल चुनरी में नारियल लपेट कलश के ऊपर रख दें।

पूजा-विधि

सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें

कलश व घट स्थापित करें।

माता का गंगाजल से अभिषेक करें।

अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और सफेद या पुष्प अर्पित करें।

सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।

भोग के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं

दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें

पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।

अंत में क्षमा प्राथर्ना करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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