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होलिका दहन पर कब तक रहेगा भद्रा का साया? जानें मुहूर्त व कब है होली

  • Holika Dahan, kab hai Holi 2025: इस बार होलिका पर भद्रा का साया रहेगा। इस दिन लकड़ी, कांडे और उपले जलाकर होलिका की अग्नि प्रज्वलित की जाती है। परंपरागत रूप से होलिका की परिक्रमा की जाती है और इसमें कच्चे सूत का धागा बांधा जाता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 10 March 2025 11:48 AM
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होलिका दहन पर कब तक रहेगा भद्रा का साया? जानें मुहूर्त व कब है होली

Holika Dahan, Kab hai Holi 2025: फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए होलिका का विनाश किया था। इस बार होलिका पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस दिन लकड़ी, कांडे और उपले जलाकर होलिका की अग्नि प्रज्वलित की जाती है। परंपरा के अनुसार, नई फसल के गेहूं के दाने होलिका में अर्पित किए जाते हैं। साथ ही नवग्रह की लकड़ियां डालकर नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की मान्यता है। परंपरागत रूप से होलिका की परिक्रमा की जाती है और इसमें कच्चे सूत का धागा बांधा जाता है। इसके बाद होली की राख को घर में लाकर तिलक करने की परंपरा है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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होलिका दहन पर कब तक रहेगा भद्रा का साया: पंचांग अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा के साथ भद्रा का साया रहेगा। ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा के अनुसार, रात 10 बजकर 44 मिनट पर भद्राकाल समाप्त होगा। पूर्णिमा 13 मार्च की सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ माना जाता है। इसलिए होलिका दहन भद्रा समाप्ति के बाद ही होगा। 14 मार्च को होली वाले दिन चंद्र ग्रहण भी रहेगा। मगर यहां चंद्र ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा क्योंकि ये ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा।

कब है होली: होली का त्योहार पूर्णिमा के अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस साल रंगों वाली होली 14 मार्च को खेली जाएगी।

क्यों मनाते है होलिका दहन: इस दिन भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उनकी बुआ होलिका ने उसे आग में बैठाने का प्रयास किया था। लेकिन विष्णु भगवान की कृपा से भक्त प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका चल गई। तभी से यह पर्व हर वर्ष मनाया जाता है। इस लिए लोग होलिका को पुरानी और नकरात्मक चीजें अर्पित करते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।