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Holi Kab Hai : 14 या 15 मार्च, होली कब है? नोट कर लें सही डेट

  • होली को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार पूर्णिमा के अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं, जबकि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रा रहित मुहूर्त में रात के समय करते हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 6 March 2025 06:05 PM
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Holi Kab Hai : 14 या 15 मार्च, होली कब है? नोट कर लें सही डेट

Holi kab hai : होली को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार पूर्णिमा के अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं, जबकि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रा रहित मुहूर्त में रात के समय करते हैं। फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10:11 बजे से शुरू हो रही है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है। भद्रा गुरुवार की रात 10:37 बजे तक रहेगी। वहीं 14 मार्च शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11:15 बजे तक ही है।पंचांग के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 26 मिनट से 14 मार्च को सुबह 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

होली कब है?- देश के कुछ हिस्सों में 14 मार्च तो कुछ हिस्सों में 15 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा।

बनारस और मथुरा में 14 मार्च को होगी होली

बनारस में 14 मार्च को होली का पावन पर्व मनाया जाएगा।

प्रतिपदा में 15 मार्च को खेली जाएगी होली

उदयातिथि के आधार पर होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में और होली फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा में मनाने का विधान है। जहां पर उदयातिथि के अनुसार पर्व मनाया जाता है वहां पर प्रतिपदा तिथि के अनुसार 15 मार्च को होली मनाई जाएगी। मिथिला क्षेत्र में भी होली 15 मार्च को मनाई जाएगी। 14 मार्च को इस बार आतर रहेगा। 14 मार्च शुक्रवार को उदयातिथि को लेकर दोपहर तक पूर्णिमा ही है, इस कारण रंगोत्सव होली नहीं मनायी जाएगी। इसलिए इस बार होली 15 मार्च को मनायी जाएगी।

होलिका दहन पर करें ये काम- होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा में अक्षत, गंगाजल, रोली-चंदन, मौली, हल्दी, दीपक, मिष्ठान आदि से पूजा के बाद उसमें आटा, गुड़, कपूर, तिल, धूप, गुगुल, जौ, घी, आम की लकड़ी, गाय के गोबर से बने उपले या गोइठा डाल कर सात बार परिक्रमा करने से परिवार की सुख-शांति, समृद्धि में वृद्धि, नकारात्मकता का ह्रास होता है। रोग-शोक से मुक्ति मिलती है व मनोकामना की पूर्ति होती है। होलिका के जलने के बाद उसमें चना या गेहूं की बाली को सेंक या पकाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य अनुकूल होता है।

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