Hariyali Teej : हरियाली तीज कब है? नोट कर लें डेट, पूजा विधि और पूजन सामग्री की लिस्ट
- पति की दीर्घायु के लिए 7 अगस्त के शुभ मुहूर्त में हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखेंगी। माता पार्वती के साथ गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करेंगी। 7 अगस्त को हरियाली तीज देश भर में मनाई जाएगी।
Hariyali Teej : पति की दीर्घायु के लिए 7 अगस्त के शुभ मुहूर्त में हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखेंगी। माता पार्वती के साथ गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करेंगी। 7 अगस्त को हरियाली तीज देश भर में मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में हरियाली तीज का काफी महत्व होता है। वहीं श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। हरियाली तीज का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, इस पर्व को नाग पंचमी से दो तिथि पूर्व मनाया जाता है।
हरियाली तीज का पर्व क्यों मनाया जाता है
हरियाली तीज को श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता हैं। हरियाली तीज सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व हैं। महिलाएं इस दिन का पूरे वर्ष इंतजार करती हैं। हरियाली तीज सौंदर्य और प्रेम का पर्व हैं। यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं।
शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते हैं हरियाली तीज
हरियाली तीज प्रकृति से जुड़ने का पर्व हैं। हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती है। पेड़ पौधे उजले- उजले नजर आने लगते हैं। हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं।
पूजन सामग्री
गंगाजल, पूजा की चौकी, तांबे और पीतल का कलश, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पान, सुपारी, जनेऊ, कपूर, आक का फूल, कपूर, दूर्वा, जटावाल नारियल, बेलपत्र, अबीर, चंदन, मौली, इत्र, गुलाल, अक्षत, धूप, दीपक, शमी का पत्ता, धतूरे का फल, हल्दी, भांग, धतूरा, भस्म, पांच प्रकार के फल, मिठाई, पांच पल्लव, दक्षिणा, व्रत की पुस्तक पूजन सामग्री होनी चाहिए।
सुहाग की सामग्री
हरियाली तीज में माता पार्वती को चढ़ाने के लिए 16 श्रृंगार का सामान इसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, माहौर, साड़ी होना चाहिए।
इन मंत्रों से करें माता पार्वती की आराधना
ऊं उमायै नम:
ऊं पार्वत्यै नम:
ऊं जगद्धात्र्यै नम:
ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
ऊं शिवायै
ऊं हराय नम:
ऊं महेश्वराय नम:
ऊं शम्भवे नम
ऊं शूलपाणये नम:
ऊं पिनाकवृषे नम:
ऊं शिवाय नम:
ऊं पशुपतये नम:
ऊं महादेवाय नम: ।
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