Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा आज, नोट करें पूजाविधि, शुभ मुहूर्त, उपाय
- Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी को समर्पित है। मान्यता है पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करने से सुख-समृद्धि 4 गुना बढ़ती है।
Purnima 2024 : आषाढ़ महीने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा है। गुरु पूर्णिमा तिथि गुरु को समर्पित है। इस साल की गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी को समर्पित है। मान्यता है पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। 21 जुलाई, 2024 के दिन गुरु पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और उपाय-
गुरु पूर्णिमा व्रत पूजा-विधि
प्रातः काल स्नान करने के बाद गुरु पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद अपने गुरु या उनके स्वरूप की पूजा करते हैं। पूजा में जल, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप और मिठाई का इस्तेमाल किया जाता है। श्रद्धालु अपने गुरु का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं। पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की पूजा करने का भी विधान है।
गुरु पूर्णिमा कब?
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - जुलाई 20, 2024 को 05:59 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - जुलाई 21, 2024 को 03:46 पी एम बजे
चन्द्रोदय- 07:38 पी एम
गुरु पूर्णिमा पूजा-विधि
- पवित्र नदी में स्नान करें या पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें
- भगवान श्री हरि विष्णु और माँ लक्ष्मी का जलाभिषेक करें
- माता का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
- अब माँ लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें
- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
- संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
- गुरु पूर्णिमा की व्रत कथा का पाठ करें
- श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें
- पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
- माता को खीर का भोग लगाएं
- चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
उपाय- माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। वैवाहिक दिक्कतें दूर करने के लिए लक्ष्मी नारायण की जोड़े में पूजा करें और माता को शृंगार का समान भी चढ़ाएं। इस दिन अपने गुरु को भोजन भी कराना चाहिए।
गुरु की पूजा कैसे करें?
प्रातः काल स्नान करने के बाद गुरु पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद अपने गुरु या उनके स्वरूप की पूजा करते हैं। पूजा में जल, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप और मिठाई का इस्तेमाल किया जाता है। श्रद्धालु अपने गुरु का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं। पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की पूजा करने का भी विधान है।
मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः
गुरु पूर्णिमा महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान स्नान और दान करने का खास महत्व है। मान्यता है कि इस अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इसी कारण आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान किया जाता है।
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु का स्थान समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे केवल शिक्षा ही नहीं देते। बल्कि, जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देते हैं। गुरु शिष्य को सही दिशा दिखाने वाले, अज्ञानता का नाश करने वाले और ज्ञान की रौशनी फैलाने वाले हैं। यही कारण है कि समाज में उनका स्थान देवताओं से भी पहले है।
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