Hindi Newsधर्म न्यूज़Ekadashi vrat in November 2024 know date Time day paran pooja vidhi

नवंबर में कब-कब रखा जाएगा एकादशी व्रत? जानें पारण टाइम व पूजाविधि

  • Ekadashi Vrat : नवंबर के महीने में भी 2 बार एकादशी व्रत रखा जाएगा। एक व्रत शुक्ल पक्ष तो एक व्रत कृष्ण पक्ष के दौरान रखा जाएगा। ये दोनों एकादशी देवुत्थान एकादशी व उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानी जाएंगी।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 22 Oct 2024 04:51 PM
share Share

Ekadashi: हर महीने में एकादशी व्रत रख भगवान विष्णु को पूजा जाता है। एकादशी व्रत हर महीने में दो बार रखा जाता है। नवंबर के महीने में भी 2 बार एकादशी व्रत रखा जाएगा। एक व्रत शुक्ल पक्ष तो एक व्रत कृष्ण पक्ष के दौरान रखा जाएगा। ये दोनों एकादशी देवुत्थान एकादशी व उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानी जाएंगी। दोनों ही एकदशी मंगलवार के दिन पड़ रही हैं। आइए जानते हैं कब-कब नवंबर में एकादशी व्रत रख सकते हैं-

नवंबर में कब-कब है एकदशी व्रत?

दृक पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की शुक्ल एकदशी तिथि 11 नवंबर को प्रारम्भ हो रही है, जो 12 नवंबर की शाम तक रहेगी। ऐसे में नवंबर का पहला शुक्ल एकदशी व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। वहीं, मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण एकादशी तिथि 26 नवंबर को प्रारम्भ हो रही है, जो 27 नवंबर की रात तक रहेगी। ऐसे में नवंबर का दूसरा कृष्ण एकादशी व्रत 26 नवंबर को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, नीचे दिए गए शुभ मुहूर्त में करें पूजा-पाठ-

एकादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 11, 2024 को 18:46 बजे

एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 12, 2024 को 16:04 बजे

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 13:01

13 नवम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 06:42 से 08:51

ये भी पढ़ें:क्या 31 अक्टूबर को मनेगी दिवाली? जानें पूजा का मुहूर्त व सामग्री लिस्ट

एकादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 26, 2024 को 01:01 बजे

एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 27, 2024 को 03:47 बजे

पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 10:26

27 नवम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 13:12 से 15:18

एकादशी पूजा-विधि

  • स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
  • भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
  • प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
  • विष्णु भगवान को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
  • मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
  • संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
  • एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
  • पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
  • विष्णु जी को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें