Hindi Newsधर्म न्यूज़By observing fast on this Ekadashi of Sawan, you will get the blessing of having a child when is Putrada Ekadashi 2024

सावन की इस Ekadashi का व्रत रखने से मिलेगा संतान सुख का वरदान, जानें कब है पुत्रदा एकादशी

  • Putrada Ekadashi 2024 : सावन पुत्रदा एकादशी का पर्व हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

Shrishti Chaubey नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तानSun, 28 July 2024 11:43 PM
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Putrada Ekadashi 2024 : सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाये जाते हैं। इनमें एक सावन पुत्रदा एकादशी है। आचार्य अशोक पांडे ने बताया कि यह पर्व हर वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी के निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से विवाहित महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। वहीं, सामान्य जन आय और सौभाग्य में वृद्धि हेतु व्रत रखते हैं। पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 अगस्त को है। इस तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं, समापन 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर है।

पुत्रदा एकादशी मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 15, 2024 को 10:26 ए एम बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त - अगस्त 16, 2024 को 09:39 ए एम बजे
  • 17 अगस्त को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 05:51 ए एम से 08:05 ए एम
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 08:05 ए एम

पुत्रदा एकादशी पूजा-विधि 

1- स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें

2- गणेश जी को प्रणाम करें

3- विष्णु जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें

4- अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें

5- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें

6- श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें

7- पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु जी की आरती करें

8- तुलसी दल सहित भोग लगाएं

9- अंत में क्षमा प्रार्थना करें

विष्णु जी की आरती

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता। स्वामी तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।

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