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कैसे करें भाई दूज की पूजा, जानें भैय्या दूज पूजा करने का आसान तरीका

  • Bhai Dooj 2024 Pooja: भाई दूज पर बहनें पूजा थाल सजाकर भाइयों के माथे पर रोली, चंदन, अक्षत से टीका करती हैं। भाई का मुंह मीठा कराती हैं। इसके साथ ही यम-यमी और सताना की कहानी भी सुनी जाती है। जानें घर पर भाई दूज पूजा कैसे करें-

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 3 Nov 2024 07:35 AM
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Bhai Dooj 2024 Pooja: हर साल कार्तिक द्वितीया तिथि पर भाई दूज मनाते हैं। भाई दूज के दिन बहन अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं, भाई भी बहनों को उपहार देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना कर रक्षा का वचन देते हैं। इस दिन बहनें पूजा थाल सजाकर भाइयों के माथे पर रोली, चंदन, अक्षत से टीका करती हैं। भाई का मुंह मीठा कराती हैं। इसके साथ ही यम-यमी और सताना की कहानी भी सुनी जाती है। आइए जानते हैं घर पर भैय्या दूज पूजा करने का आसान तरीका-

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कैसे करें भाई दूज की पूजा, जानें भैय्या दूज पूजा करने का आसान तरीका

इस दिन बहनें घर के मुख्य द्वार पर गोधन का चौका बनाती हैं। उस चौके के अंदर भाइयों के दुश्मनों के प्रतीक स्वरूप गोबर से यम या मेरुदंड, मुसल, सर्प बिच्छू आदि बनाए जाते हैं। फिर उसमें नारियल, पान सुपारी आदि रखकर उसे डंडे से बहनें कूटती हैं। उसके बाद भाइयों की लंबी आयु की कामना करते हुए रुई की माला से आयु जोड़ती हैं। इस माला को बनाते वक्त मौन रहा जाता है और भाई के लिए मंगल कामना की जाती है। इस तरह पूजा में शामिल सभी महिलाएं व युवतियां एक-दूसरे से पूछती हैं कि वह क्या कर रही हैं। वह कहती हैं कि भाइयों की आयु जोड़ रही हैं। रुई की माला को भाई की कलाई या गले में पहना दिया जाता है। यही नहीं पूजा के दौरान बहनें अपने भाइयों को श्राप भी देती हैं। फिर थोड़ी देर बाद पश्चाताप करने के लिए अपनी जीभ पर रेंगनी का कांट चुभाती हैं। वह भाइयों की लंबी उम्र की दुआ करती है। फिर कुछ भाई-भौजी को आशीर्वाद देकर गीत गाती हैं। बहनें भाइयों को गोधन का प्रसाद खिलाती हैं। भाइयों को तिलक करने के बाद ही बहनें कुछ खाती हैं। परंपरा के अनुसार, इस दिन भाइयों को अपनी बहन के घर प्रसाद खाने जाना होता है। इस दिन घर में दाल, पूरी, खीर और मीठा इत्यादि बनाया जाता है। इसके बाद भाई बहनों को गिफ्ट देते हैं।

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भाई दूज तिलक विधि: भैया दूज की पूजा समाप्त करने के बाद भाई को तिलक लगाया जाता है और पूजा के दौरान पूजी गई मिठाई, घड़िया और सुपारी खिलाई जाती है। भाई के सिर पर कपड़ा रखें। अनामिका उंगली से तिलक व अक्षत लगाएं। फिर मुंह मीठा कराएं। चाहे तो आरती भी उतार सकती हैं। बहनें उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भाई का तिलक करें।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, बहन-भाई इस दिन यमुना में स्नान करते हैं। भाई की हथेली पर चावल, सिंदूर, कद्दू के फूल, पान, सुपारी और मुद्रा रखकर पानी अर्पित करती हैं। साथ ही यह प्रार्थना करती हैं, “गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा-यमुना नीर बहे, मेरे भाई की आयु बढ़े।” इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। मान्यता है कि यदि दीये जलाने के समय आसमान में चील उड़ता दिखाई दे, तो यह शुभ संकेत माना जाता है, और इसे यमराज द्वारा बहन की प्रार्थना स्वीकारने का प्रतीक समझा जाता है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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