पितृपक्ष के दूसरे दिन श्राद्ध कर्म के लिए 3 मुहूर्त, इस विधि से करें पितरों का श्राद्ध
- Shradh 2024 vidhi : इस साल पितृ पक्ष पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ हो रहे हैं, जो दो अक्टूबर की अमावस्या तक रहेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
Shradh 2024 vidhi : सनातन धर्म में हर साल भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष शुरू हो जाते हैं। इस साल पितृपक्ष के दूसरे दिन का श्राद्ध गुरुवार को होगा। इस साल पितृ पक्ष पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ हो रहे हैं, जो दो अक्टूबर की अमावस्या तक रहेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पितृ लोक से धरती लोक पर पितर आते हैं। इस दौरान श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होते हैंऔर परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। आइए जानते हैं पितृपक्ष के दूसरे दिन श्राद्ध कर्म के लिए शुभ मुहूर्त व श्राद्ध करने की आसान विधि-
पितृपक्ष का दूसरा दिन कल: 19 सितंबर, के दिन पितृ पक्ष का दूसरा दिन या द्वितीया तिथि श्राद्ध रहेगा। आइए पंचांग अनुसार जाने हैं द्वितीया श्राद्ध के शुभ मुहूर्त-
द्वितीया तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 19, 2024 को 04:19 बजे
द्वितीया तिथि समाप्त - सितम्बर 20, 2024 को 00:39 बजे
- कुतुप मूहूर्त - सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 बजे तक
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
- रौहिण मूहूर्त - 12:39 से 13:28
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
- अपराह्न काल - 13:28 से 15:54
अवधि - 02 घण्टे 27 मिनट्स
इस तरह दें तर्पण
पितरों को तर्पण करने वाले जल में काले तिल, जौ, चंदन, अक्षत, आदि मिला लें। श्राद्ध कर्म में तिल कुशा सहित जल लेकर पितृ तीर्थ यानि अंगूठे की ओर से पिंड पर छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है। पितृपक्ष में पंचबलि देवताओं को भोग, गऊ ग्रास, कुत्ते-कौंवे तथा चींटी को भोजन देना अत्यंत शुभ माना जाता है। वहीं, भोजन का प्रथम ग्रास गाय, द्वितीय पक्षी के और तृतीय कुत्ते के निमित्त ग्रास निकालना चाहिए। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन द्वार पर दोनों और शीतल जल छिड़कर पितरों के आगमन की तैयारी करनी चाहिए। किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करा कर वस्त्र आदि देकर विदा करना चाहिए। पितरों की आत्मा शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं।
श्राद्ध करने की आसान विधि
जिस तिथि में पितरों का श्राद्ध करना हो, उस दिन सुबह जल्दी उठें।
स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।
पितृस्थान को गाय के गोबर से लीप कर और गंगाजल से पवित्र करें।
महिलाएं स्नान करने के बाद पितरों के लिए सात्विक भोजन तैयार करें।
श्राद्ध भोज के लिए ब्राह्मणों को पहले से ही निमंत्रण दें।
ब्राह्मणों के आगमन के बाद उनसे पितरों की पूजा और तर्पण कराएं।
पितरों का नाम लेकर श्राद्ध करने का संकल्प लें।
जल में काला तिल मिलाकर पितरों को तर्पण दें।
पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, घी, खीर और दही अर्पित करें।
चावल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें।
ब्राह्मण को पूरे सम्मान के साथ भोजन कराएं।
अपनी क्षमतानुसार दान-दक्षिणा दें।
इसके बाद आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें।
श्राद्ध में पितरों के अलावा कौए, देव, गाय, और चींटी को भोजन खिलाने का प्रावधान है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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