हरियाणा विधानसभा भंग, राज्यपाल ने दी मंजूरी, कार्यवाहक सरकार करेगी काम
- 6 महीने की अवधि में विधानसभा सत्र न बुला पाने के संवैधानिक संकट से बचने के लिए हरियाणा सरकार ने यह कदम उठाया था। सरकार का कार्यकाल 3 नवम्बर तक था। यानी यह 52 दिन बचा था। नियमों के चलते 12 सितम्बर तक सत्र बुलाना अनिवार्य था। हालांकि नायब सैनी अब कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कैबिनेट की सिफारिश को स्वीकार करते हुए 52 दिन पहले 14वीं विधानसभा भंग कर दी है। मुख्यमंत्री नायब सैनी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने गत दिनों इसे मंजूरी दी थी। दरअसल, 6 महीने की अवधि में विधानसभा सत्र न बुला पाने के संवैधानिक संकट से बचने के लिए हरियाणा सरकार ने यह कदम उठाया था। सरकार का कार्यकाल 3 नवम्बर तक था। यानी यह 52 दिन बचा था। नियमों के चलते 12 सितम्बर तक सत्र बुलाना अनिवार्य था। हालांकि नायब सैनी अब कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
देश में संवैधानिक संकट का पहला मामला
देश के इतिहास में इस तरह के संवैधानिक संकट के बाद विधानसभा भंग होने की यह पहली स्थिति है। देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। कोरोना काल में भी हरियाणा में इस संकट को टालने के लिए एक दिन का विधानसभा सत्र बुलाया गया था। इससे पहले भी हरियाणा विधानसभा 3 बार भंग हुई लेकिन तब समय से पहले चुनाव करवाने के लिए ऐसा किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 174(1) के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा के 2 सत्रों के बीच 6 महीने से ज्यादा का समय नहीं होना चाहिए।
हरियाणा में 13 मार्च 2024 को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था। जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बहुमत साबित किया। इसके बाद 6 महीने के भीतर यानी 12 सितम्बर तक हर हाल में दूसरा सैशन बुलाना अनिवार्य था। सरकार ऐसा नहीं कर सकी। संवैधानिक बाध्यता के बावजूद सरकार सैशन इसलिए नहीं बुला सकी क्योंकि अचानक 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। सरकार इसे भांप नहीं पाई। 17 अगस्त की जिस कैबिनेट में सरकार को सैशन के लिए फैसला लेना था, उससे एक दिन पहले ही 16 अगस्त को चुनाव आचार संहिता लग गई। जिसके बाद चुनावी गतिविधियां बढ़ गई और सरकार ने सैशन नहीं बुलाया।
नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे मुख्यमंत्री
विधानसभा भंग होने की अधिसूचना जारी होते ही 12 सितम्बर से विधायकों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। वह पूर्व विधायक कहलाएंगे। सभी सुविधाएं खत्म हो जाएंगी। विधायकों को एक महीने के वेतन का नुकसान भी उठाना पड़ा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व मंत्री कार्यवाहक के तौर पर कार्य करते रहेंगे, लेकिन वे कोई नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। हालांकि, कोई महामारी, प्राकृतिक आपदा या असुरक्षा जैसा मामला आता है तो फैसला लेने में सक्षम रहेंगे।
रिपोर्ट: मोनी देवी
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